लाउडस्पीकर के शोर से बचेगा शहर,हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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नैनीताल, राज्य हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद शायद हर कोई चैन की सांस लेगा और हाईकोर्ट को धन्यवाद देगा, क्योंकि अब उत्तराखंड में लाउडस्पीकर वाकई चुप हो जाएंगे। मंगलवार को जारी एक आदेश में, अदालत ने सरकार को बताया कि दिन के दौरान भी लाउडस्पीकरों का उपयोग उपयोगकर्ता पर निर्भर होगा कि शोर का स्तर पांच डेसिबल से अधिक ना हों। जमीन पर गिरने वाले पिन का शोर स्तर दस डेसिबल है और जैसे एक व्यक्ति सासं ले रहा हो उसकी आवाज भी पांच डेसिबल होती है।

अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि संबंधित अधिकारियों की लिखित अनुमति के बिना धार्मिक निकायों समेत किसी भी व्यक्ति या संगठन द्वारा या किसी सार्वजनिक समूह द्वारा भी लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जायेगा।

लाउडस्पीकर आधी रात 12 बजे के बाद भी चलते रहते है। अदालत ने कहा कि लाउडस्पीकर को मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों द्वारा प्राधिकरण से लिखित अनुमति के बिना इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।” हरिद्वार जिले में एक खिलौना फैक्ट्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग में पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन के मुकदमे की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और लोकपाल सिंह की एक खंडपीठ ने निर्देश जारी किया है।

अदालत ने हरिद्वार में एक इंडस्ट्रीयल इकाई पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया क्योंकि “प्रदूषक के सिद्धांतों के तहत बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण के कारण क्षेत्र के निवासियों को हो रही परेशानी और वातावरण को हो रहे नुकसान को ध्यान में रखकर यह जुर्माना लगाया गया है।”

अदालत ने 5 करोड़ रुपये हरिद्वार जिला मजिस्ट्रेट के पास चार हफ्ते के अंदर जमा करने का आदेश दिया है।साथ ही यह भी कहा गया है कि फैक्ट्री के मालिक को उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थायी नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लिए बिना इसे नहीं चलाया जाना चाहिए। आदेश 19 जून को जारी किया गया था लेकिन इसकी प्रतिलिपि मंगलवार को उपलब्ध कराई गई है।