हरिद्वार। स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है। जहां बच्चे जाकर अपना भविष्य संभालते और संवारते हैं। किन्तु जब स्कूलों की हालत ही खस्ता हो तो बच्चों का भविष्य क्या संवरेगा। भविष्य संवारने की कोशिश करने वाले बच्चे स्कूल की इमारत को देखकर शिक्षा से ज्यादा अपनी जिंदगी की परवाह करने को मजबूर हैं। यूं कहा जा सकता है कि स्कूल आने वाले बच्चे मौत के साए में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। जब मैदानी इलाकों में स्कूल की इमारतों का ऐसा हाल है तो जरा सोचिए प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में शिक्षा की इमारतो का हाल कैसा होगा।
हम बात कर रहे हैं उपनगरी कनखल के शेखुपुरा, कुम्हारा गढ़ा स्थित प्राईमरी स्कूल की। जहां स्कूल की इमारत वर्षों से जर-जर हालत में हैं। स्कूल भवन के मुख्य द्वार पर विशालकाय पीपल का पेड़ वर्षों से खड़ा है। जिस कारण मुख्य द्वार कभी भी धराशायी हो सकता है। अब जबकि बरसात का मौसम आरम्भ हो चुका है ऐसे में मुख्य द्वार के गिरने की संभावना और भी प्रबल हो गई है। निरकुंश हो चुकी राजशाही के कारण स्कूल की दशा में आज तक कोई सुधार नहीं हो पाया है। यह हाल तक हैं जब इस क्षेत्र से चार बार के विजेता विधायक और दो बार शहरी विकास मंत्री भाजपा के हैं। मेयर भाजपा का सांसद भाजपा का और राज्य व केन्द्र में सरकारें भी भाजपा की। फिर भी एक स्कूल की इमारत की ओर किसी ने कोई ध्यान आज तक नहीं दिया। स्थिति यह है कि भवन इतना जर-जर हो चुका है कि यदि मूसलाधार बरसात कुछ समय के लिए लगातार हो जाए तो भवन को धराशायी होने में देर नहीं लगेगी। ऐसे में यदि कोई हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ब्रह्म पाल सैनी ने कहा कि मामला संज्ञान में आ गया है। शनिवार को स्कूल जाकर इमारत का मुआयना करेंगे। यदि इमारत जर-जर है तो बच्चों के पढ़ाने की अन्यत्र व्यवस्था की जाएगी।