(देहरादून) विपक्ष के हावी होने और सोशल मीडिया पर चल रही खिंचाई के बाद प्रदेश सरकार ने अब विकास कार्यों की जिलेवार समीक्षा करने का फैसला लिया है। जबकि,दो दिन पहले मुख्यमंत्री के निजी सचिव ने विधानसभावार समीक्षा करने का कार्यक्रम जारी किया था जिसमें उन 13 विधानसभाओं को छोड़ दिया गया था जहां कांग्रेस और निर्दलीय विधायक जीतकर आए हैं।
दरअसल, बुधवार को मुख्यमंत्री के निजी सचिव की ओर से विधानसभाओं की समीक्षा का कार्यक्रम जारी किया गया था। कार्यक्रम में सिर्फ 57 विधानसभाओं को ही शामिल किया गया। जिसमें बाकी 13 विधानसभाओं को शामिल नहीं किया था। विपक्ष का आरोप था कि सिर्फ उन 57 विधानसभाओं को ही शामिल किया गया है, जहां भाजपा को जीत मिली है। जबकि कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की विधनसभा को नजरअंदाज किया गया है। तब से यह पत्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा था। इसमें विपक्ष को जहां लोगों का समर्थन मिल रहा था तो भाजपा सरकार की खूब खिंचाई हो रही थी। विपक्ष ने इस मामले में राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वेष की भावना से काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर सबसे पहले केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया कि मुख्यमंत्री पर सवालों की बौछार कर दी थी। वहीं कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के अलावा धनोल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की थी। चारों तरफ बढ़ते विरोध को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक दिन बाद ही अपना फैसला पलटा और बीच का रास्ता निकाला। मुख्यमंत्री अब जनपदवार सभी विधानसभाओं की समीक्षा करेंगे।