(देहरादून) धुमाकोट में हुई बस दुर्घटना से सबक लेते हुए परिवहन विभाग ने अब यातायात नियमों का पालन न करने वालों पर सख्ती दिखाते हुए मुकदमा दर्ज करना शुरू कर दिया है। बीते रोज परिवहन विभाग ने प्रदेशभर में चलाए गए विशेष चैंकिंग अभियान में 63 वाहन चालकों के खिलाफ विभिन्न थानों में एफआईआर दर्ज करवाई। राज्य गठन के बाद यह पहला मौका है जब एक साथ एक दिन में वाहन चालक और वाहन मालिकों के खिलाफ परिवहन विभाग ने मुकदमें दर्ज करवाएं हैं।
दरअसल, गलत तरीके से गाड़ी चलाने में मोटर व्हीकल एक्ट में पहले से ही मुकदमें दर्ज कराने का प्रावधान है, लेकिन उत्तराखंड में परिवहन विभाग के अधिकारी कोर्ट की फजीहत से बचने के कारण मुकदमा दर्ज करने के बजाए चालान और गाड़ी सीज करने तक की कार्रवाई को ही अंजाम देते थे। किसी आपराधिक मामले में बहुत ज्यादा दबाब होने पर ही परिवहन विभाग के अधिकारी वाहन चालक या मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाते थे। लेकिन पिछले दिनों धुमाकोट में हुई बस दुर्घटना में ओवर लोडिंग के कारण एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें 48 लोगों की मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए। प्रथम दृष्टया दुर्घटना का मुख्य कारण ओवर लोडिंग पाया गया क्योंकि 28 सीटर बस में 61 सवारियां बैठी थी। इस पर शासन ने कड़ा रुख दिखाकर परिवहन विभाग को सख्ती से यातायात नियमों का पालन कराने के निर्देश दिए। इसके बाद परिवहन सचिव डी. सेंथिल पांडियन ने परिवहन महकमें को पूरे प्रदेशभर में एक सप्ताह का विशेष चैंकिंग अभियान चलाने के आदेश दिए। जिसमें ओवर लोडिंग, बिना फिटनेस और गलत तरीके से गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटते हुए मुकदमा दर्ज करने तक के आदेश दिए। आदेश का पालन करते हुए बीते रोज बृहस्पतिवार को प्रदेश भर में सेकड़ों गाड़ियों के चालान किए गए। जिसमें 63 वाहन चालाकों के खिलाफ मुकदमें भी दर्ज किए गए। इनमें 25 वाहन चालकों के खिलाफ गढ़वाल और 38 के खिलाफ कुमाऊं मंडल में मुकदमें दर्ज करवाए गए। गढ़वाल मंडल में किए गए 25 मुकदमों में 21 देहरादून संभाग में हुए हैं जबकि चार मुकदमें पौड़ी संभाग में किए गए हैं। इन मुकदमों में वाहन चालक के साथ वाहन मालिक को भी नामजद किया गया है।
इन धाराओं में है एफआईआर का प्रावधान
मोटर व्हीकल एक्ट के अध्याय 13 की धारा 177 से 210 तक में मोटर वाहनों का नियम विरुद्ध संचालन एवं यातायात के नियमों का उल्लंघन करने पर अपराध शक्तियां और प्रक्रिया का प्राविधान है। भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 279 में सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना, धारा 336 में ऐसा कार्य करना जिससे किसी व्यक्ति का जीवन संकट में डालना, धारा 337 में ऐसे कार्य जिससे किसी को नुकशान या उसके जीवन पर संकट आए। धारा 338 में ऐसे कार्य जिससे दूसरों के जीवन या वैयक्तिक सुरक्षा पर संकट पैदा हो आदि धाराओं में मुकदमें का प्राविधान है।