गोपेश्वर, पांच सौ से अधिक आबादी वाले गांवों को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से जोड़ने में किस तरह से खानापूर्ति हो रही है या यूं कहें कि विभाग की कितनी भारी गलती है कि सड़क बनी ही नहीं और कागजों में अंकित हो गई। उत्तराखंड के 53 ऐसे गांव हैं, जिनको पीएमजीएसवाई से 2002 में जोड़ लिया गया है। मगर जब हकीकत सामने आयी तो सब आवाक रह गये। दरअसल, इन गांवों में पीएमजीएसवाई की सड़क पहुंची ही नहीं।
यह पूरा तथ्य बड़े ही रोचक ढंग से सामने आया। बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के विधायक महेंद्र भट्ट के नेतृत्व चमोली जिले में भविष्य बदरी, सुभाई गांव को पीएमजीएसवाई सड़क से जोड़ने के मामले को लेकर गांव का प्रतिनिधि मंडल केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से दिल्ली में मिला तो पता चला कि कागजों में सुभाई गांव पीएमजीएसवाई से 2002 में ही जुड़ गया है। इसे देख सबको हैरान हुई, क्योंकि इस गांव के लिए अभी सड़क तो बनी ही नहीं हैं और उत्तराखंड के ग्रामीण विकास विभाग ने इसे पीएमजीएसवाई से जुड़ा होना बता दिया। जब यह फाइल खंगाली गई तो ऐसे 53 गांव उत्तराखंड में सामने आए, जहां ग्रामीण विकास विभाग उत्तराखंड ने पीएमजीएसवाई से जुड़ा बता दिया पर सड़क वहां तक गई ही नहीं।
बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट कहते हैं, सुभाई-भविष्य बदरी सड़क के मामले में ग्रामीणों के साथ जब दिल्ली में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से हमारा प्रतिनिधि मंडल मिलने गया तो वहां पता चला कि कागजों में इस गांव तक पीएमजीएसवाई की सड़क बन गई है। ग्रामीण और हम सब इस जानकारी से अवाक रह गए कि ऐसी 53 सड़कें हैं जो बनी ही नहीं। अब सुभाई भविष्य बदरी रोड बनाने को डीपीआर बनाने को कहा गया है। विभाग ने अपनी गलती मान ली है कि सुभाई सड़क की गलत जानकारी दी गई।