देहरादून, उत्तराखण्ड के रीति-रिवाजों और संस्कृति से जुड़़ा कुमाऊं मंडल का हरियाली का प्रतीक पारंपरिक पर्व हरेला सोमवार को प्रदेश भर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने मंदिरों में बोया हरेला काटकर अपने आराध्य को अर्पित कर शिरोधार्य किया।
हरेला उत्तराखंड का लोक त्योहार है। इसे श्रावण मास की संक्रांति को मनाया जाता है। इस पर्व को हरियाली के आगमन, घर की सुख-समृद्धि और भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है कि यह पर्व बरसात में जब चारों ओर हरियाली छा जाती है तब हरेला पर्व मनाया जाता है। खासकर कुमाऊं सहित प्रदेश के अन्य स्थानों पर सोमवार सुबह से ही मंदिर समेत अन्य देवालयों में हरेला अर्पित करने वालों का सुबह से ही तांता लगा रहा। लोगों ने घरों और मंदिरों में बोया हरेला काटकर अपने आराध्यों को अर्पित किया। साथ ही अनेक पकवान बनाकर मंदिर में अर्पित किए गए।
इस मौके पर ससुराल से पहुंची विवाहित बहनों ने भाईयों को जी रया जागी रया यो दिन मास भेंटन रयाके आशीर्वचन के साथ हरेला लगाया। भाईयों ने बहनों को यथोचित दक्षिणा और उपहार भेंट किए। रक्षाबंधन की तरह इस पर्व पर बहनें मायके आकर भाई समेत परिवारजनों को हरेला से पूजती हैं।
हरेला पर्व को सरकार से लेकर विभिन्न संगठन राजनीतिक व सामजिक संगठनों द्वारा राज्य में पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा है। जो पूरे एक सप्ताह मनाया जाएग। इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ द्वारा हरेला को पिछले कई वर्षो से पर्यावरण संरक्षण अभियान वृहद स्तर पर चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।