ऑटो चालकों की मनमानी यात्रियों की जेब पर पड़ रही है भारी

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ऋषिकेश। ऋषिकेश की सड़कों पर आए दिन किराये को लेकर आटो चालकों व यात्रियों में मारपीट होती है। इसके मूल में है आरटीओ विभाग की अदूरदर्शिता। मनमाना किराया वसूली पर रोक लगाने के लिए विभाग के पास कोई योजना नहीं है। नियमों की धज्जियां उड़ाना तिपहिया चालकों की आदतों में शुमार हो चुका है। वह फिर चाहे यातायात नियमों की बात हो या फिर प्रशासन द्वारा निर्धारित किए गए किराए की। किसी भी मामले में तिपहिया चालक अपना मनमाना रवैया छोड़ने को तैयार नजर नहीं आ रहे। पुलिस का भी ऑटो चालकों को कोई खौफ नहीं है।
आटो रिक्शा का किराया तय करने का अधिकार परिवहन विभाग को है। यदि उसमें कोई बदलाव करना होता है तो परिवहन विभाग उसे संभागीय परिवहन विभाग (आरटीओ) में रखता है। आटो रिक्शा चालकों द्वारा मनमाना किराया वसूलने पर परमिट निरस्त करने के आदेश के बड़े बड़े दावे तो विभागीय अधिकारी करते रहे है, लेकिन इन दावों की कलई रोजाना शहर के विभिन्न आटो स्टोपेज पर किराये को लेकर तिपहिया चालकों और यात्रियों की भिड़ंत के रूप में खुलती हुई देखी जा सकती है। इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस कर्मी व ट्रैफिक पुलिस के सिपाही महज मूकदर्शक बन तमाशा देखते रहे थे।
गौरतलब है कि ऋषिकेश में न्यूनतम किराया विभाग द्वारा ₹7 निर्धारित किया गया है, लेकिन ऑटो चालकों द्वारा यात्रियों से ₹10 किराया वसूला जाता है। विरोध करने पर आटो चालक यात्रियों से नोकझोंक करने लगते हैं। कई बार तो स्थिति सर फटोवल जैसी बन जाती जाती है। इसके बावजूद विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा ।मामला सिर्फ़ यही तक सीमित नही है। विभिन्न रूटों पर चलने वाले ऑटो चालक भी मूह मांगा किराया यात्रियों से वसूल रहे हैं। हैरत की बात यह भी है की किराया सूची भी अधिकांश तिपहिया वाहनों में नहीं लगाई गई है ।जबकि उप जिलाधिकारी द्वारा पूर्व में इस संदर्भ में सख्त आदेश दिए गए थे कि यदि किसी तिपहिया वाहन में किराया सूची ना लगी पाई गई तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन इस मामले में मूकदर्शक क्यों बना हुआ है।
ऋषिकेश की परिवहन अधिकारी अनीता चमोला का कहना है कि उनके द्वारा अधिक किराया वसूल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है यदि इस प्रकार की शिकायतें मिलेंगी तो आगे भी कार्रवाई की जाएगी