सामाजिक व्यवस्था के लिए जरूरी है वर्ण व्यवस्था

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ऋषिकेश, बजरंग मुनि सामाजिक शोध संस्थान ऋषिकेश के प्रबन्ध कार्यालय में ज्ञान यज्ञ के तहत ’वर्ण व्यवस्था’’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन महामंडलेश्वर डॉ रामेश्वर दास जी महराज की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। वर्ण व्यवस्था पर अपने विचार रखते हुवे मौलिक विचारक बजरंग मुनि ने कहा कि भारत की वर्ण व्यवस्था दुनियाॅ की एक मात्र ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जो आदर्श है। यदि यह व्यवस्था विकृत होकर योग्यता की जगह जन्म का आधार नहीं ग्रहण करती तो अब तक सारी दुनियां इसे स्वीकार कर चुकी होती। बहुत लम्बे समय के बाद सामाजिक व्यवस्थाएं रूढ होकर विकृत हो जाती है और उसके दुष्परिणाम उस पूरी व्यवस्था को ही सामाजिक रूप से अमान्य कर देते है। वर्ण और जाति अलग-अलग व्यवस्था है। जातियाॅ सिर्फ कर्म के आधार पर बनती है तो वर्ण गुण, कर्म, स्वभाव को मिलाकर। प्रत्येक वर्ण में कर्म के आधार पर अलग-अलग जातियाॅ बनती है।

वर्ण व्यवस्था से विकृति दूर करने की अपेक्षा वर्ण व्यवस्था का समाप्त होना अव्यवस्था का प्रमुख कारण है। स्वामी दयानंद महात्मा गांधी सरीखे महापुरूष वर्ण व्यवस्था की विकृतियों को दूर करना चाहते थे। भीमराव अम्बेडकर, नेहरू आदि ने वर्ण व्यवस्था की विकृतियों पर अपनी राजनैतिक रोटी सेकने का प्रयास किया। उसका दुष्परिणाम भारत भोग रहा है। वर्ण व्यवस्था में योग्यता और क्षमतानुसार कार्य का विभाजन होता है और सामाजिक व्यवस्था के अनुसार अलग-अलग वर्ण को अलग-अलग उपलब्धियाॅ भी प्राप्त होती है। वर्ण व्यवस्था एक सामाजिक व्यवस्था है। उसका राजनीति से किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं। सामाजिक व्यवस्था में राजनीति का प्रवेष जितना ही बढता है उतनी ही अव्यवस्था बढती है जैसा भारत में हो रहा है।

महामंडलेश्वर डा रामेश्वर दास महाराज ने कहा कि, “प्राचीन समय में वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण विचार प्रधान होता था, क्षत्रिय शक्ति प्रधान, वैश्य कुशलता तथा श्रमिक सेवा प्रधान जाना जाता था। सबके गुण और स्वभाव के आधार पर वर्ण निर्धारित होते थे।वर्तमान समय में समाज व्यवस्था को तोडकर राज्य व्यवस्था को अधिक से अधिक मजबूत बनाने का उनका षडयंत्र सफल हो गया। धीरे-धीरे परिवार व्यवस्था समाज व्यवस्था कमजोर हो रही है, टूट रही है और राज्य व्यवस्था अधिक से अधिक शक्तिशाली होती जा रही है।

इस अवसर पर शोध संस्थान के निदेशक आचार्य पंकज ने भी अपने विचार रखे।संस्थान से जुड़े डॉ राजे नेगी ने बताया कि अगले सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तहत लोकतंत्र और उसकी समस्याएं विषय पर गोष्ठी आयोजित होगी। इस अवसर पर रामकृष्ण भट्ट,चन्द्र मोहन भंडारी, उत्तम असवाल,विनोद जुगरान, अंकित नेथानि जनार्दन केरवान,राजेन्द्र चौहान,मनोज शर्मा,अनीता ममगाईं,उषा रावत,चन्द्रकान्ता जोशी, डॉ उषा कटियार,सचिन पैन्यूली,आर सी भट्ट,हरिचरण सिंह, डीपी रतूड़ी,सुभाष सेनी,अरविंद हटवाल,बलराम शाह उपस्थित थे।