…तो देशभर के बोर्डिंग स्कूल हैं बेलगाम

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देहरादून, सरकारी या फिर प्राइवेट स्कूल के लिए राज्य सरकार और किसी एक बोर्ड का एफिलिएशन अनिवार्य होता है। मान्यता मिलने के बाद सरकार और बोर्ड के स्तर पर जारी किए गए दिशा निर्देश और गाइडलाइन इन स्कूलों पर लगाम कसने का काम करती है। लेकिन, बोर्डिंग स्कूलों की बात करें तो बोर्डिंग के लिए न तो सरकार ने कोई मानक तय किए हैं और न ही बोर्ड के स्तर पर बोर्डिंग श्रेणि में आने वाले स्कूलों के लिए कोई गाइडलाइन निर्धारित है।

बोर्डिंग स्कूलों के लिए नहीं है मॉनीटरिंग सिस्टम
देहरादून के लिए बोर्डिंग स्कूल के चार छात्रों द्वारा एक नाबालिग छात्रों से किए गए गैंगरेप के मामले ने बोर्डिंग स्कूलों पर नियंत्रण कैसे रखा जाए, यह सवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल, अभी तक बोर्ड के तमाम नियम स्कूलों में पठन पाठन, स्कूलों में छात्र-छात्राओं को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराए जाने और स्कूलों को संसाधन युक्त करने को लेकर है। इसके अलावा कई मानक सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी है। लेकिन, वे सभी सामान्य तौर पर स्कूलों के लिए हैं। बोर्डिंग स्कूलों की बात करें तो यहां किस प्रकार की सुविधाएं, संसाधन या फिर सुरक्षा के इंतजामातों की दरकार है इसे लेकर कोई प्रावधान ही नहीं है। इतना ही नहीं सरकार के स्तर पर भी ऐसे स्कूलों की मॉनीटरिंग को लेकर कोई मशीनरी नहीं है। कुल मिलाकार अभी तक जिस स्कूल के पास पर्याप्त जगह होती है वे बोर्डिंग स्कूल के रूप में खुद को बेरोकटोक स्थापित कर देते हैं। इसके लिए न तो उन्हें सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है और न ही बोर्ड से हॉस्टल आदि को लेकर मान्यता। ऐसे में बोर्डिंग स्कूल बिना किसी दिक्कत परेशानी बोर्डिंग स्कूल का टैग लगाकर अपना सिक्का जमाते चले जाते हैं।

रीजनल आॅफिस ने की बोर्ड से सिफारिश
बोर्डिंग स्कूल में हुए गैंगरेप के मामले के बाद अब सीबीएसई देहरादून रीजन बेहद गंभीर आ रहा है। इसी क्रम में रीजनल आॅफिस ने एक कदम बढ़ाते हुए बोर्डिंग स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए बोर्ड के दिल्ली मुख्यालय से आग्रह किया है कि अन्य गाइलाइन की भांति बोर्डिंग स्कूलों की मॉनीटरिंग के लिए भी नियम निर्धारित किए जाएं। ताकि बोर्डिंग स्कूलों में इस प्रकार की घटना की पुर्नावृत्ति न हो। क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि मामले में सीबीएसई दिल्ली मुख्यालय को लिखित रूप में आग्रह किया गया है कि बोर्डिंग स्कूलों को नियमबद्ध किया जाए। उन्होंने बताया कि अभी तक बोर्डिंग कैटेगरी में हॉस्टल आदि को लेकर कोई गाइडलाइन तय नहीं है, जिस कारण स्कूल कई पहलुओं पर मनमानी करने में सफल हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि बोर्ड से किए गए आग्रह में यह बोर्डिंग स्कूलों में सेफ्टी व सिक्योरिटी को लेकर नीति तैयार करने की आवश्कता बताए जाने के साथ ही नीति के तहत राज्य सरकार का इन्वोल्वमेंट भी रखे जाने का आग्रह किया गया है।