देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डाक्टरों और निजी लैबों की साठगांठ का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसकी वजह अस्पताल प्रबंधन का डाक्टरों पर अंकुश नहीं होना है। पूर्व में सामने आए मामलों में किसी तरह की कोई कार्रवाई न होने की वजह से भी डॉक्टर निरंकुश हो चुके हैं।
मंगलवार को त्यूणी निवासी विपिन जोशी ने दून अस्पताल में ओपीडी में एक डाक्टर को दिखाया। डाक्टर ने उनके पेट में पथरी होने की आशंका जाहिर करते हुए उन्हें अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। इतना ही साथ में एक निजी रेडियोलॉजी लैब की पर्ची भी थमा दी। जिस पर मरीज ने हंगामा किया। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा को इसकी शिकायत की। कहा कि रेडियोलॉजी लैब में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते कई-कई दिन की वेटिंग मिल रही है। कहा कि डाक्टरों को निजी लैब की पर्ची थमाना तो सीधे-सीधे लैबों से उनका कमीशन तय होने की ओर इशारा करता है। उनकी शिकायत पर एमएस संबंधित डाक्टर के चैंबर में गए, लेकिन डाक्टर वहां नहीं मिले। डॉ. टम्टा का कहना है कि सभी डाक्टरों को बाहर से जांचें न लिखने की सख्त हिदायत दी गई है। ऐसे डाक्टरों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व में नहीं हुई कार्रवाई
पूर्व में मेडिसन विभाग के एक डॉक्टर के बाहर से पैथोलॉजी जांच लिखने के मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। करीब एक बीस दिन पूर्व एफआरआई निवासी एक युवक ने अपने भाई के लिए बाहर से जांच लिखने और बकायदा एक लैब की पर्ची थमाने पर हंगामा कर एमएस से शिकायत की थी। एमएस ने डाक्टर का जवाब तलब कर एचओडी से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी थी। एमएस डॉ. टम्टा का कहना है कि उन्हें अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।