(देहरादून) भारत के शहरों, छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों की सड़कों, सड़कों और बुनियादी ढांचे को साफ करने के मकसद से महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान वर्ष 2014 से 2019 की अवधि के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान के रूप में शुरू किया गया था। लेकिन, चार साल बीतने के बाद भी विडंबना यह है कि दून में सरकारी इमारतों के आसपास सबसे अधिक कचरा फैला नजर आ रहा है। इस गांधी जयंती, दून-आधारित युवा कार्यकर्ता समूह, मेकिंग अ डिफरेंस बाई बीइग द डिफरेंस (मैड) ने इस मिशन और बापू के स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए एक स्वच्छता और जागरूकता अभियान का आयोजन किया।
यूपीईएस के छात्रों सहित कुछ 60 स्वयंसेवकों ने विभिन्न क्षेत्रों में साफ-सफाई शुरू कर दी और शहर में महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों, विशेष रूप से कलेक्टरेट कार्यालय के पास अग्निशमन स्टेशन, बीजापुर गैस्ट हाऊस, न्यू कैंट रोड और टपकेश्वर मन्दिर के आस-पास की जगहों पर अत्यधिक अपशिष्ट फैला देख आश्चर्यचकित रह गए। लगभग 100 बैग में विभिन्न स्थानों से 10 से 2 बजे तक चलने वाले अभियान के दौरान स्वयंसेवकों द्वारा कचरा अलग और एकत्र किया गया था। यह सरकारी अधिकारियों की इस प्रचारित मिशन के प्रति उचित कार्यान्वयन के संबंध में खुद की नाक के नीचे ही उदासीनता का प्रतिबिंब है। ऐसा लगता है कि बहुत उत्साह से शुरू होने वाला एक सरकारी अभियान अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण स्पष्ट रूप से ढीला पड़ गया है। संवेदना फैलाने की आवश्यकता है ताकि मिशन को कागज पर लक्ष्य की उपलब्धि तक ही सीमित नहीं किया जाए। मैड ने नागरिकों से सार्वजनिक संपत्ति की ओर अलगाव की भावना छोड़ने का आग्रह किया। सिविक सेन्स की सामान्य कमी को पूरा करने की जरूरत है, खतरों के प्रति जागरूकता, सामुदायिक प्रयासों और व्यवहारिक परिवर्तनों के साथ ही स्वच्छता अभियान वास्तव में सफल हो सकता है। यह सफाई अभियान एक सतत वातावरण के लिए वर्ष 2011 में अपनी स्थापना के साथ ही मैड द्वारा सफलतापूर्वक संचालित विभिन्न गतिविधियों की श्रृंखला में से एक थी। कार्यक्रम में संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, उत्कर्ष, अभिमन्यु, गायत्री, सुभावि समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे।।