नागपुर की डॉ. तनुजा नाफडे ने बनाई भारतीय सेना की ‘मार्शल ट्यून’

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नागपुर, राष्ट्रीय त्योहार तथा विजय दिवस के अवसर पर जब भी सेना का संचलन होता है तब आर्मी बैंड की धुनें फिजां में गूंज उठती हैं। साहस, वीरता की प्रतीक यह धुनें जवानों के साथ-साथ सुनने वालों के मन में भी जोश का निर्माण करती हैं। भारतीय सेना के बैंड की विशेषता के रूप में पहचानी जाने वाली ‘मार्शल ट्यून’ की संगीत रचना बनाने का सौभाग्य नागपुर की डॉ. तनूजा नाफडे को प्राप्त हुआ है।

नागपुर के धरमपेठ कॉलेज में सेवारत डॉ. तनुजा नाफडे गायिका के रूप में विख्यात हैं। कई मौकों पर उन्होंने अपनी कला से संगीत प्रेमियों के दिलों को जीता है। उन्हें 2016 में भारतीय सेना की महार रेजिमेंट के लिए धुन बनाने का अवसर प्राप्त हुआ। उनके द्वारा बनाई गई वह धुन अब सेना की ‘मार्शल ट्यून’ बन गई है। इसके बाद जब भी सेना के संचलन के वक्त यह ट्यून बजेगी तब-तब डॉ. नाफडे और नागपुर का जिक्र जरूर होगा।

इस बारे में जानकारी साझा करते हुए डॉ. नाफडे ने बताया कि पुराने जमाने से युद्ध के समय वाद्यों का प्रयोग किया जाता रहा है। पूरे विश्व में जब भी किसी सेना का संचलन होता है तब वीर रस का निर्माण करने वाली धुनें बजाई जाती हैं। अंग्रेजी शासनकाल से भारतीय सेना में मार्शल ट्यून का चलन रहा है। आजादी के बाद अंग्रेजों के जमाने में बनी वह ट्यून बरकरार रही। अंग्रेजों के समय बनी वह ट्यून अच्छी तो थी, लेकिन उसमें भारतीयता की कमी थी।

सेना की इस मार्शल ट्यून के साथ-साथ हर रेजिमेंट की अपनी एक अलग धुन भी होती है। फरवरी 2016 में सेना के महार रेजिमेंट के 75वें स्थापना वर्ष के अवसर पर महार रेजिमेंट की ट्यून में बदलाव का विचार सामने आया। तब इसी रेजिमेंट से रिटायर्ड हुए ब्रिगेडियर विवेक सोहेल ने ‘देश को आंच न आने दी’ गीत की रचना की। सेना के बैंड ने उस गीत की धुन भी बनाई, लेकिन वह किसी को खास पसंद नहीं आई। इसके बाद सेना के लिए नई धुन की खोज करने वाले मेजर जनरल ओक को अपने दोस्त की पत्नी डॉ. तनूजा नाफडे का स्मरण हुआ। उन्होंने डॉ. नाफडे को सेना बैंड के लिए धुन बनाने को कहा।

मेजर जनरल ओक की सूचना को आदेश मानकर डॉ. तनूजा नाफडे ने भारतीय शास्त्रीय संगीत तथा पश्चिमी हार्मनी के संयोग से धुन की रचना की तथा आर्मी बैंड के 36 वादकों के साथ उन्होंने इस धुन को संगीतबद्ध किया। उनके द्वारा बनाई गई यह धुन सभी को पसंद आई, जिसके बाद इस धुन को केवल महार रेजिमेंट तक सीमित न रखते हुए सेना की मार्शल ट्यून बनाने का फैसला किया गया। सेना के अनुशासन के हिसाब से चलने वाली लंबी प्रक्रिया के बाद इस धुन को सेना की मार्शल धुन का दर्जा प्राप्त हुआ। बीते सात अक्टूबर को यशराज स्टूडियो में यह ट्यून संगीतबद्ध की गई तथा इस मार्शल ट्यून की सीडी का सेना प्रमुख विपिन रावत के हाथों विमोचन किया गया।

भाग्य ने दिया सुनहरा मौका-डॉ. नाफडे
डॉ. नाफडे ने बताया कि किसी नागरिक को सेना के लिए कुछ करने का मौका मिलना यह अपने आप में बड़ी बात है। भारत में एक से बढ़कर एक नामी कलाकार हैं। ऐसे में मुझ जैसी छोटी कलाकार को यह सौभाग्य मिलना बड़े गौरव की बात है। नाफडे ने बताया कि मार्शल ट्यून बनाने में योगदान देने के लिए सेना प्रमुख विपिन रावत के हाथों ताम्रपत्र भी प्राप्त हुआ है। यह गौरव भारत रत्न के समान लगता है।