नई ट्रेंच विधि से गन्ना बुवाई में ज्यादा होगी पैदावार

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रूद्रपुर। किसान पुरानी एवं परम्परागत गन्ना बुवाई विधियों का परित्याग कर नई ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करके कम क्षेत्रफल और कम लागत में ज्यादा पैदावार कर अधिक लाभ उठा सकते है। इस मौ
शुक्रवार को एपीजे अब्दुल कलाम सभागार, कलेक्ट्रेट में जिला गन्ना पुरस्कार वितरण एवं विचार गोष्ठी में अपर जिलाधिकारी जगदीश चन्द्र काण्डपाल की अध्यक्षता करते हुए यह बातें कही। उन्होंने कहा कि गन्ने की शरदकालीन बुवाई का प्रारम्भ हो चुका है। किसान इस गोष्ठी में शामिल होकर गन्ने की उन्नत खेती के लिए वैज्ञानिकों से टिप्स लेकर गन्ने की अधिक से अधिक उपज ले सकते है। उन्होने बताया गन्ना किसानो की समस्याओ को ध्यान मे रखते हुए वैज्ञानिको द्वारा गन्ना बुवाई के लिए कई विधियां विकसित की गयी है।
इस मौके पर सहायक गन्ना आयुक्त धरमवीर सिंह ने बताया गन्ना विकास विभाग द्वारा कृषकों को ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। ट्रेंच विधि से गन्ना बुवाई कर कुछ किसानो द्वारा विगत वर्षो मे परम्परागत विधि की अपेक्षा प्रति हेक्टेयर अधिक उपज प्राप्त की गई। उन्होंने बताया कि ट्रेंच विधि से गन्ने के साथ-साथ अन्य फसल लेना आसान एवं आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है। ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई मे कम बीज व कम सिंचाई की आवश्कता पडती है जिससे भू-जल स्तर उचित बना रहता है साथ ही प्रचुर मात्रा मे मिट्टी चढाने पर गन्ना जल भराव से नही गिरता है।
गोष्ठी मे उपस्थित वैज्ञानिक डा. सी. तिवारी, केवी के एवं क्षेत्रीय प्रबन्धक इफको ने गन्ने की शरदकालीन बुवाई से सम्बन्धित जानकारियां व टिप्स किसानो के साथ साझां किये। उन्होंने कहा ट्रेंच विधि से गन्ने के साथ दलहनी सह फसल लेने के लिए गन्ने में उचित स्थान व समय दोनो ही मिलते है। साथ ही दलहनी फसलो की जड़ों से प्राप्त होने वाली नत्रजन से भूमि की जैव उर्वरता बनी रहती है तथा रासायनिक उर्वरको की कम आवश्यकता पडती है। उन्होंने बताया कि ट्रेंच विधि से गन्ना एकसमान मोटा व लम्बा होता है जिससे गन्ने की उपज परम्परागत विधि की अपेक्षा 25-30 प्रतिशत अधिक होती है तथा भूमिगत कीट, व्हाइट ग्रब व दीमग का आपतन कम होता है।
इस अवसर पर जनपद के प्रगतिशील किसान सतेन्द्र सिह को 2258 कुन्तल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन पर प्रथम पुरस्कार, विजय पाल सिंह को 2244 कुन्तल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन पर द्वितीय पुरस्कार तथा ओमप्रकाश को 1188 कुन्तल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन पर तृतीय पुरस्कार इसी प्रकार पेडी गन्ने की फसल पर ब्रजराज सिंह को 925 कुन्तल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन पर प्रथम पुरस्कार, घासीराम को 915 कुन्तल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन पर द्वितीय पुरस्कार तथा किसन सिंह को 895 कुन्तल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन पर तृतीय पुरस्कार दिया गया।