ज्ञान महाकुंभ का आयोजन एक ऐतिहासिक पहलः राष्ट्रपति

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Preseident of India
ज्ञान कुंभ में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

देहरादून/हरिद्वार, धार्मिक कुभं की नगरी में ज्ञान महाकुंभ का आयोजन एक ऐतिहासिक पहल है। राष्ट्रसपति ने कहा कि कोई भी छात्र शिक्षा के अवसर से वंचित ना रह जाए। ज्ञान देने के साथ-साथ संस्कारों के बीज बोना शिक्षकों की जिम्मेदारी है। प्रेम और संस्कार भी वही शिक्षक दे सकता है। जिसमें स्वयं त्याग और संवेदनशीलता मौजूद हमारे देश में आदर्श शिक्षकों के अनेक उदाहरण उपलब्ध है। चाणक्य को राष्ट्र निर्माण में प्रमुख आचार्य माना जाता है। तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की अपनी प्रतिभा द्वारा वही प्राचार्य और बाद में कुलपति बने और अंततः मौर्य साम्राज्य के निर्माता और महामात्य बने।

उच्चतर शिक्षा में गुणात्मक सुधार और भविष्य की चुनौतियों का समाधान तलाशने के उद्देश्य को लेकर उच्च शिक्षा विभाग और पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय ज्ञानकुंभ का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उद्घाटन किया। आयोजन में 18 राज्यों के उच्च शिक्षामंत्री व उच्च शिक्षा सचिव और 131 विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं। इस दौरान राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि पतंजलि योगपीठ में आयोजित इस ज्ञान कुंभ 2018 में आकर मुझे अपार हर्ष का अनुभव होता है। इस देश में सदियों से धार्मिक कुंभ के आयोजन की परंपरा हरिद्वार के आयोजनों की पावन है। यह बहुत ही सार्थक पहल है देश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा योग में स्वामी रामदेव का योगदान अभूतपूर्व है। योग का अभ्यास पर्वतों कंदराओं और एकांतवास में जाकर किया जा सकता था, उन्होंने इसे घर घर पहुंचा दिया है। प्रति वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाने का निर्णय लिया गया और इसे पूरे विश्व में मनाया जाता है। उत्तराखंड सरकार का यह महत्वपूर्ण और अच्छा प्रयास है।

राष्ट्रतपति ने कहा कि भीमराव आंबेडकर ने अपने अध्यापक से आशीर्वाद की याचना की तो उक्त अध्यापक ने अपना उपनाम आंबेडकर सदा के लिए उन्हें दे दिया। साधारण परिवार से निकल एक सफल वैज्ञानिक और भारत के राष्ट्रपति बनने वाले डॉक्टर कलाम का पूरा जीवन शिक्षा और शिक्षक के महत्व की एक जीती जागती कहानी है। शिक्षा का इतिहास महामना मदन मोहन मालवीय के बिना पूरा नहीं हो सकता। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के लिए राष्ट्रपति ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार विदेशों में इंडोलॉजी का अध्ययन कराया जा रहा है, वैसे ही रशियन स्टडीज, जर्मन स्टडीज, फ्रेंच स्टडीज जैसे सेंटर भारत में भी खोले जाएं। उन्होंने उम्मीद जताई की मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस दिशा में पहल करेगा। राष्ट्र पति ने कहा कि देवियों और सज्जनों मुझे इस कार्यक्रम का रिजल्ट जानने की उत्सुकता रहेगी। मैं आशा करता हूं कि इस आयोजन के परिणाम स्वरूप उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में विश्व स्तर की शिक्षा उपलब्ध कराने में सहायता प्राप्त होगी उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देश की दशा व दिशा को बदलने के लिए ज्ञानकुंभ में मंथन होगा। साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र की दिक्कतो को दूर करने पर भी विचार होगा। कहा कि उच्च शिक्षा में भारत अभी अन्य देशों से पिछड़ा हुआ है। खासकर ग्रामीण भारत में शिक्षा की स्थिति में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में कुल 903 विश्वविद्यालय हैं। इनमें केवल 39 फीसद में ही शोध होता है। 39 हजार महाविद्यालय में से केवल 40 फीसदी महाविद्यालयों में ही उच्च शिक्षा की व्यवस्था है। इन्हीं विषयों से संबंधित मामलों में ज्ञानकुंभ में चर्चा होगी। इस अवसर पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि शिक्षा के जरिये हमें भारत विश्व गुरु बनाना है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य ज्ञान कुंभ का आयोजन हुआ है। प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला आयोजन है।

ज्ञानकुंभ में पांच तकनीकी सत्रों को मिलाकर कुल नौ सत्र होंगे। समापन सत्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा स्वास्थ्य के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी पतंजलि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ज्ञानकुंभ के माध्यम से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार और नवीन विचारों का समावेश होगा। इस आयोजन से निकला संदेश भारतीय शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगा।