28 नवंबर को, शाम 4:30 बजे। युवा और गतिशील आशीष चौहान, डीएम उत्तरकाशी ओसला गांव के निरिक्षण के लिए निकलते हैं।
अपने क्षेत्र के कई दूरस्थ गांवों में से एक गांव,ओसला के लिए जब वह निकलते हैं, तो अलग-अलग विभागों के बीस के करीब अधिकारी भी उनके साथ चले। चार घंटे बाद, जब वह अपने गंतव्य पर पहुंचते है तो रात हो चुकी थी। लगभग डेढ़ सौ परिवारों के गांव में उन्होने रात बिताई। आपको बतादें कि लगभग 13 साल बाद कोई वरिष्ठ अधिकारी इस गांव में पहुंचा था।
दो पहाड़ियों के बीच संकरी तहसील मोरी ब्लॉक में बसा ओस्ला गांव, जिले के कई दूरस्थ गांवों में से एक है। यह पूछने पर कि डीएम ने इस गांव को क्यों चुना, वह हमें बताते हैं कि, “यह क्षेत्र गलत कारणों से कारण हमेशा चर्चा में रहता है। इस सर्दी यानि की फरवरी में आग की घटना ने ओस्ला के नजदीक सावनी गांव में चालीस घरों को धराशायी कर दिया था। मैं स्थिति पहले खुद देखना चाहता था और तब विश्लेषण करना चाहता था कि हम यहां परिवारों के लिए क्या मदद दे सकते हैं ” प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर ग्रामीणों को अग्निशमन उपकरण के साथ लैस करने के लिए बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करना था, इसके बाद निवासियों के लिए चिकित्सा जांच।
आशीष चौहान कहते हैं, “ओस्ला की यात्रा जिला प्रशासन के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेट के अधिकारियों के लिए एक आंख खोलने वाला ट्रैक था। जैसे कि मैंने स्थिति को करीब और व्यक्तिगत रुप से देखा है, मैने जमीन की वास्तविकता की बेहतर समझा है। मैं वहां के लोगों की उन्नति के लिए आपदा प्रबंधन और मनरेगा से धनराशि बढ़ाने के लिए अब और बेहतर स्थिति में रहूंगा।”
केवल इतना ही नहीं, 2 से 6 दिसंबर तक ग्रामीण विकास, चिकित्सा विभाग, सामाजिक कल्याण विभाग और अन्य विभागों के अधिकारियों की एक टीम तालुका में तैनात होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्रामीणों की सभी आवश्यकताये जैसे कि आधार कार्ड, राशन कार्ड, चिकित्सा जैसी बुनियादी जरूरतों को अत्यंत प्राथमिकता से संबोधित किया जाता है।
उत्तरकाशी के डीएम अपने जिले के दूर दराज़ के इलाकों को लेकर एक मिशन पर है। उनकी भविष्य की योजना भागीरथी घाटी में जिले के सबसे दूरस्थ गांव जादौ में 17 किलोमीटर ट्रैकिंग करके पहुंचना और वहा को लोगों का हाल चाल जानना व बेहतर सुविधा देना होगा। यह सिर्फ एक आशाजनक अंत की शुरुआत है।