नव वर्ष पर प्रकृति, पर्यावरण एवं जल संरक्षण का संकल्प लिया

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ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय नव वर्ष योगा सत्र का ‘करो-मौज-करो’ के महासंकल्प के साथ समापन हुआ। नव वर्ष की पूर्व संध्या पर वेद मंत्रों के साथ यज्ञ करते हुये प्रकृति, पर्यावरण एवं जल संरक्षण का लिया संकल्प लिया गया।

नव वर्ष के आगमन पर प्रातःकाल यज्ञ मंत्रों एवं वेद के विद्वानों द्वारा वेद पाठ करते हुये सभी श्रद्धालुओं ने यज्ञ में पूर्णाहुति की और अपने देश और राष्ट्र के लिये स्वयं की आहुति देने का संकल्प कराया।

विश्व के अनेक देशों से ड़ों लोगों ने नव वर्ष को नये ढ़ंग से मनाया स्वामी ने कहा कि यह भारतीय नव वर्ष नहीं है, तथापि सबके लिए कल्याणप्रद होय क्योंकि सम्पूर्ण धरती माता है। अतएव एक ही भूमि के पुत्र होने के कारण समग्र विश्व को कुटुम्ब ही मानना चाहिए। योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती द्वारा अष्टांग योग, हठ योग और योग निद्रा सत्र, योगाचार्य एच एस अरूण द्वारा अयंगर योग, योगाचार्य इन्दू शर्मा द्वारा सूक्ष्म योग तथा अन्य विख्यात योग साधकों द्वारा पांच दिवसीय योग शिविर का समापन हुआ।

पांच दिवसीय सत्र में प्राणायाम, योगआसन, आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी, मौन सत्र, सूर्य उदय, सूर्य अस्त साधना, ध्यान, मंत्र उच्चारण साधना, हवन और अन्य आध्यात्मिक सत्रों का आयोजन किया गया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’’वैसे तो नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में हिन्दू नव सवंत्सर होता है परन्तु पूरे विश्व में एक चाल सी चल पड़ी है की सभी एक जनवरी को नव वर्ष मनाने लगे है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को बंसतोत्सव के रूप में नववर्ष महोत्सव का आरंभ होता है। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी तब से इसे नव वर्ष के रूप में माना जाता है। हम नव वर्ष को आध्यात्मिक रूप से मनाये, नव वर्ष को शराब के साथ नहीं बल्कि साधना के साथ मनाये, फोन के साथ नहीं बल्कि मौन के साथ मनाये, वाई-फाई कि साथ नहीं बल्कि वाई आई के साथ मनाये, वाइन के साथ नहीं बल्कि डीवाईन होकर मनाये।” 

इस अवसर पर स्पेन के राजदूत, बहामा राजदूत, टर्की के राजदूत, वियतनाम के राजदूत, मालदीव के राजदूत, गिनी बिसाऊ के राजदूत, सिंगापुर व चीन से आये ।