देहरादून, उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद अपर मुख्य सचिव कार्मिक एवं सतर्कता राधा रतूड़ी ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों, मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को प्रदेश में अधिकारियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों की हड़ताल/कार्य बहिष्कार के संबंध में निर्देश जारी कर कहा कि हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अंतर्गत प्रतिबंधित है।
अपर मुख्य सचिव कार्मिक एवं सतर्कता ने कहा कि कर्मचारी संगठनों का अपनी मांगों के संबंध में अक्सर हड़ताल/कार्य बहिष्कार किए जाने से जहां एक ओर जन सामान्य को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, वहीं शासन द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में विलम्ब होता है। कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अन्तर्गत प्रतिबन्धित है। उन्होंने इस संबंध में स्पष्ट किया कि विभाग के पत्र दिनांक 13 दिसम्बर, 2018 का उच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञानित जनहित याचिका संख्या में पारित निर्णय 29 अगस्त, 2018 में दिए गए आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने इस संबंध में समय-समय पर जारी शासनादेशों की ओर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए स्पष्ट किया कि उक्त संदर्भित शासनादेशों द्वारा निर्गत निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।
अपर मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि उत्तराखण्ड अधिकारी- कर्मचारी /शिक्षक समन्वय समिति के पत्र दिनांक 23 जनवरी, 2019 द्वारा दिनांक 31 जनवरी, 2019 एवं 04 फरवरी, 2019 प्रस्तावित आन्दोलन कार्यक्रम के अन्तर्गत किसी भी प्रकार का अवकाश स्वीकृत न करते हुए इस सम्बन्ध में अवकाश नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।