छात्रवृत्ति घोटाला: निजी इंस्टीट्यूट संचालकों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

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हरिद्वार, उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे निजी इंस्टीट्यूट पर दोहरी मार पड़ी है। दूसरी ओर अब स्व वित्त पोषित कॉलेज संचालकों को जेल का डर भी सता रहा है। पैसों के लालच में निजी इंस्टीट्यूट संचालक धारा 420 के फेर में उलझते चले गए। अब जब इस प्रकरण की जांच हुई तो प्रथदृष्टया निजी इंस्टीट्यूट संचालक बुरी तरह फंसते हुए नजर आ रहे हैं। इस प्रकरण में एसआईटी ने एक आरोपी की गिरफ्तारी कर ली है जबकि कई आरोपियों के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।

उत्तराखंड में करीब आठ सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की शुरुआत साल 2014 से हुई। निजी इंस्टीट्यूट संचालकों ने एससी/एसटी छात्रों के एडमिशन में खेल करना शुरू कर दिया। सरकार की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि को हड़पने के लिए फर्जी एडमिशन तक कर लिए। छात्रवृत्ति की राशि हड़पने के लिए एकाएक उत्तराखंड में निजी इंस्टीट्यूट की बाढ़ सी आ गई। किराये के कमरों में संचालित निजी इंस्टीट्यूट को विश्वविद्यालय ने मान्यता तक दे दी। इन इंस्टीट्यूट संचालकों ने अपनी सीट भरने के लिए दलालों से संपर्क साधा। गांवों के इलाकों से गरीब एससी/एसटी छात्रों को एडमिशन दे दिए गए।

एसआईटी की जांच में अब एडमिशन के फर्जी होने की परतें खुलने लगी हैं। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी ने जब निजी इंस्टीट्यूट की कुंडली खंगालनी शुरू की वह भौचक्के रह गए। उन्होंने पाया कि फर्जी छात्रों के नाम से छात्रवृत्ति सरकार के खजाने से रिलीज करा ली गई। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि एससी/एसटी छात्रों के एडमिशन को तस्दीक करने वाला समाज कल्याण विभाग आखिरकार कहां सोया हुआ था? समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन अधिकारियों की पकड़ में ये फर्जी एडमिशन क्यों नहीं आए।

दलालों और अधिकारियों को दी गई रकम को सरकारी खजाने में जमा कराने की जिम्मेदारी निजी इंस्टीट्यूट संचालकों की होगी। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी के नेतृत्व में एसआईटी की टीम इस प्रकरण में तेजी से साक्ष्यों को जुटाने का कार्य कर रही है। तमाम विश्वविद्यालयों से निजी इंस्टीट्यूट के एडमिशनों का रिकार्ड जुटाया जा रहा है। इन एडमिशन और छात्रवृत्ति की राशि का मिलान किया जा रहा है। धोखाधड़ी के इस खेल में ज्यों-ज्यों विवेचना आगे बढ़ रही है। निजी इंस्टीटयूट संचालकों के दिलों की धड़कने भी उतनी तेजी से बढ़ रही है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि एक विश्वविद्यालय के 1600 पन्नों के रिकार्ड का मिलान कार्य तेजी से चल रहा है। इसके बाद कई इंस्टीट्यूट संचालकों पर गिरफ्तारी की तलकार लटकी दिखाई देगी।