उत्तराखंड की ख़ुशबू को देश विदेश तक पहुंचा रहा है ”पांडवाज़ ग्रुप”

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कहते हैं कि अगर हौंसला हो तो कोई मंज़िल दूर नही होती। इसी कहावत को चरितार्थ किया श्रीनगर के तीन भाईयों की जोड़ी ने। ईशान, कुणाल और सलिल डोभाल ने उत्तराखंड के लोक संगीत को देश और दुनिया के संगीत के चाहने वालों तक पहुँचाने की ठानी। यही नहीं इस संगीत को मार्डन धुनो के साथ सँवार कर आज के युवा वर्ग के लिये भी प्रासंगिक बना दिया।

एक सपना देखा और उस सपने को सच बनाने के लिए उस पर काम किया। 2010 से एक कमरे के स्टूडियों में संगीत रिकार्ड करने से लेकर हर तरह के संगीत से जुड़े प्रयोग किए जाते रहे हैं।

सबसे पहले, स्टूडिओ खोलने का ईशान ने सोचा, ईशान डोभाल को संगीत में प्रयोग करना पसंद है। कुछ ऐसे नये प्रयोग जो की पैसे की कमी की वजह से दिल्ली या मुंबई के स्टूडिओ में करना मुश्किल था।इस परेशानी को ध्यान में रखते हुए ईशान ने अपनी प्रयोगशाला श्रीनगर गढवाल में बनायी।समय के साथ धीरे धीरे लोगों को ये नये प्रयोग पसंद आने लगे और स्टूडिओ में गढ़वाली फ़ोल्क म्यूज़िक प्रोडक्शन का काम आना शुरू हो गया । फिर कुणाल डोभाल ने विडियो प्रोडक्शन का बीड़ा उठाया और सलिल डोभाल ने फोटोग्राफी की कला से सहयोग देना शुरु किया।ये सब 2010 में शुरू हुआ जब इनके स्टूडियो मॆ लोग दिल्ली में रिकॉर्डिंग करवाना पसंद नही करते थे, 22-23 साल के लड़के जिन्होंने आजतक एक भी गाना नहीं बनाया ना किसी के साथ काम करने या सीखने का अनुभव लिया, उन पर आसानी से कोई भी विश्वास नहीं करता था।

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ईशान बताते हैं कि 6 महीनों तक निक्म्मे पड़े रहने के  बाद काम आया वो भी रेडिओ नाटक का और फिर काम आता रहा। ईशान ने अभी तक 50 से ज्यादा गढ़वाली एल्बम और 10 हिंदी सिंगल गीत किए हैं इनमे सबसे ज्यादा फ़ेमस गीत मेरी गाजिना, फ़्योलाड़िया, सुन जा बात मेरी हाँ, (दूसरे गायकों के लिए संगीत निर्देशन के रूप में)। पाण्डवाज़ के ख़ुद के सबसे फ़ेमस प्रोडक्शन (यू ट्यूब के लिए) ढ़ूढता हूं तुझे (2013) रंचणा (2014) उड़ने दो 2014 तीन चीजें 2015 गढ़वाली कविता सिरीज़ (11 कवि 11 कवितायें) (2016) टाईम मशीन 1 (घुघुती बसुती) (2016), टाईम मशीन 2 (फुलाणी) (2017)। पांडवास के मुखिया ईशान का कहना हैं, कि वह किसी के साथ भी काम करने की इच्छा रखते, आख़िर हमारा काम तो परदे के पीछे का ही है।” ईशान कहते हैं।” यू ट्यूब के लिए जल्द ही गढ़वाली शॉर्ट मूवीज़ बनाएँगे  और उसके बाद शायद फ़ुल लैंन्थ फ़ीचर फ़िल्म भी बनायेंगे। फ़िलहाल तो टाईम मशीन के आने वाले पार्ट्स पर ही फ़ोकस है और गढ़वाली कविता सीज़न 2 का दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार है वो भी 2017 में ही लांच होगी।”

‘टाईम मशीन’ कॆ स्पांसर दिल्ली और न्यूजीलैंड से कुछ लोगों ने की हैं , जिसने हमारे लिए संजीवनी का काम किया है। ईशान कहते हैं, “ये लोग ना अपना नाम चाहते हैं ना हम पर खुद को सिंगर या एक्टर बनाने का दबाव डालते हैं, यह लोग उत्तराखंड की सेवा करना चाहते हैं।”

इसके अलावा डा.दाताराम पुरोहित जिन्होंने गढ़वाल की संस्कृति को संजोने और उसको बढ़ाने का काम किया है वो कहते हैं, “आजकल का युवा वर्ग नए प्रयोग कर रहा है। यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन एक सुझाव डा. पुरोहित देते हैं, ‘कि कापीराइट के महत्व को समझना चाहिए, और इसको ध्यान में रखते हुए लोक संगीत की परंपरा को उससे अलग करके नहीं बढ़ाना चाहिए”।