पिथौरागढ़ के बौना और तौमिक गांवों में होगा रेड चीफ सेब का उत्पादन

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    पिथौरागढ़: विभिन्न प्रजातियों के सेब की पैदावार करने वाला जनपद पिथौरागढ़ का बौना और तौमिक गांवों को अपनी खोई पहचान फिर मिलेगी। कभी सेब उत्पादन के लिए देश और विदेश में पहचाने जाने वाले इन गांवों में फिर से सेब का उत्पादन होगा। इस बार परंपरागत सेब की जगह, ये गांव सेब की सबसे उत्तम प्रजाति रेड चीफ का उत्पादन करेंगे।

    सात से साढ़े सात हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित बौना और तोमिक गांव कभी सेब उत्पादन के लिए जाने जाते थे। इन गांवों में पैदा होने वाला सेब देश के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों के माध्यम से विदेशों तक भी पहुंचता था। डेलीसस प्रजाति के इस सेब पर एक दशक पूर्व संकट आना शुरू हुआ और आज गांव में सेब का उत्पादन लगभग खत्म हो चुका है। इसका कारण तापमान में बढ़ोत्तरी होना बताया गया था। प

    रंपरागत सेब के लिए कम से कम 300 घंटे चिलिंग प्वाइंट की जरूरत होती है। लेकिन ठंडे दिनों में इतना तापमान मिल नहीं पा रहा था। लंबे समय से इन गांवों में सेब उत्पादन फिर से शुरू करने की कवायद चल रही थी। उद्यान विभाग ने गांव की जलवायु में बदलाव का अध्ययन करने के बाद नए सिरे से सेब उत्पादन शुरू करने की मुहिम शुरू कर दी है। अध्ययन में सेब की रेड चीफ प्रजाति को उपयुक्त पाया गया है।

    विभाग ने दोनों गांवों में इस प्रजाति के 5600 पेड़ लगाने का काम पूरा कर लिया है। बौना गांव में ही दस हेक्टेयर क्षेत्रफल में सेब के पौध लगाए गए हैं। किसानों को नए सिरे से सेब उत्पादन का प्रशिक्षण भी विभाग ने दिया है। सेब की इस प्रजाति के पौध पांच वर्ष में फल देने लगेंगे। उम्मीद है इस मुहिम से बौना और तोमिक गांवों की खोई पहचान फिर से कायम होगी।