उत्तराखण्ड में 60 दिनों में वनाग्नि की 24 घटनाएं

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File photo

देहरादून,  उत्तराखण्ड में लगातार वनों के धधकने से वन विभाग चिंतित है। अब तक प्रदेश में दो माह में वनाग्नि की 24 घटनाएं घटी है। यही कारण है कि फायर सीजन में वन विभाग में अधिकारियों, कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर वनों वनाग्नि से बचाने का निर्देश दिया है।

प्रदेश में 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों में वन संपदा है। इसे प्रति वर्ष दावाग्नि अच्छी खासी क्षति पहुंचाती है। उत्तराखंड के आरक्षित वन क्षेत्र का 30.65 हेक्टेयर तथा सामान्य वन क्षेत्र का पांच हेक्टेयर जंगल अब तक जला है। वन विभाग के अनुसार 15 फरवरी से लेकर मानसून आने तक फायर सीजन माना जाता है, जो लगभग 15 जून के आसपास तक चलता है।

प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि, “फायर सीजन के 60 दिन बीत चुके हैं। अब तक 24 घटनाएं घटी हैं, जो विभाग की ओर से पंजीकृत है। इस फायर सीजन के लिए 15 से 20 करोड़ का अनुमानित बजट रखा गया है।” 

प्रमुख वन संरक्षक जयराज के अनुसार वनाग्नि से बचने के लिए वर्षा जल संरक्षण के लिए प्रबंध किया जा रहा है। राज्य के कई स्थानों वनाग्नि और दावाग्नि के लिए राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है जहां वनाग्नि की सूचना दी जा सकती है। वनाग्नि से बचाने के लिए लगभग 10 हजार कर्मचारियों की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा अधिकारियों को ज्यादातर फील्ड ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। आम लोगों को वनाग्नि के प्रति जागरुक किया जाएगा। इसके लिए ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) और सैटेलाइट इमेज के जरिए फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के साथ लगातार सामंजस्य बैठाया जा रहा है।

जयराज ने पिछले 5 वर्षों की घटनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि, “साल 2014 में वनाग्नि के 515 मामले सामने आये, इसमें से तकरीबन 930.33 हेक्टेयर वन जलकर राख हो गया था। इस वनाग्नि से 23.57 लाख का नुकसान पूरे फायर सीजन में हुआ। वर्ष 2015 में वनाग्नि की 412 घटनाएं प्रकाश में आयी जिनकी रिपोर्टिंग हुई है। इन घटनाओं में प्रदेश का 701.61 हेक्टेयर जंगल जला। इन घटनाओं में 7.94 लाख की क्षति हुई। वर्ष 2016 में वनाग्नि के 2074 प्रकरण प्रकाश में आये जिसमें 4433.75 हेक्टेयर जंगल जला। इससे 46.50 लाख के नुकसान का अंदाजा लगाया गया है।” 

वर्ष 2017 में वनों में आग लगने की 805 घटनाएं सामने आई जनकी रिपोर्टंग हुई है। इन घटनाओं में 1244.64 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर राख हो गया। इन घटनाओं से 18.34 लाख के क्षति की संभावना जताई गई। वर्ष 2018 प्रदेश के वनों में वनाग्नि की घटनााएं बढ़ी। फायर सीजन 2150 घटनाएं प्रकाश में आयी। इन घटनाओं में 4480.04 हेक्टेयर जंगल नष्ट हुआ। जिससे 86.05 लाख के नुकसान हुआ। वर्ष आज तक 2019 अब तक करीब 24 आग लगने की घटनाएं घटित हो चुकी हैं।