देहरादून का बल्लीवाला चौक पर बना फ्लाईओवर इन दिनों लोगों के लिये सहूलियत की जगह परेशानी का सबब बन गया है। कारण है पुल पर तकरीबन हर 20 फीट की दूरी पर बनाये गये रंबल स्ट्रिप।
दरअसल इस फ्लाइओवर पर पिछले कुछ समय से ओवर स्पीडिंग के कारण कई हादसे हो चुके हैं। इन हादसों में कई लोग अपनी जान भी गवां चुके हैं। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने इस फ्लाईओवर का दौरा किया था और अधिकारियों को यहां हो रहे हादसों को रोकने के निर्देश दिये थे। इन हादसों को रोकने का जो तरीका निकाला गया उसके चलते हादसों का तो पता नहीं लेकिन पुल पर सफर करने वाले लोगों को खासी परेशानिय़ों का सामना करना पड़ रहा है।
पुल की दोनो तरफ की लेन में तकरीबन हर 20 फीट की दूरी पर रंबल स्ट्रिप बना दिये गये हैं। आम लोगों का कहना है कि इसके कारण पुल की उपयोगिता न के बराबर रह गई है। अब पुल पर भी गाड़ियों की रफ्तार बहुत घीरे रहती है जिसके चलते पुल पर जाम जैसे हालात रहते हैं।
इन स्पीड ब्रेकर के बारे में जब हमने ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना से बात की तो उन्होंने कहा कि “यह स्पीड ब्रेकर किसी भी समस्या का समाधान नहीं हैं। मैं आने वाले एक-दो दिन में खुद इस पुल का निरीक्षण करुंगा क्योंकि यब ब्रेकर सही नहीं है।उन्होंने कहा कि पुलों पर ब्रेकरों को होना पुलों के मतलब को ही बदल देता है।
दरअसल, बल्लीवाला फ्लाईओवर के निर्माण से पहले डिजाइन और चौड़ाई को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसके अलावा फ्लाईओवर बनने के बाद से ही हादसे शुरू होने लगे जिसके बाद दून पुलिस ने सुरक्षा को लेकर कई बार प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन तीन साल गुजरने के बाद भी अब तक कोई योजना शुरु नहीं हो पाई।
डिजाइन और चौड़ाई पहले से ही विवादों में
24 जुलाई 2016 से बल्लीवाला लाईओवर पर ट्रैफिक दौड़ने लगा था। जो कि 2013 से निर्माण कार्य चालू हो गया था। तब दावा किया गया था कि फ्लाईओवर सिर्फ 25 करोड़ की लागत से बना है, लेकिन फ्लाईओवर की डिजाइन और इसकी चौड़ाई को लेकर शुरू से सवाल उठ रहे थे। जीएमएस रोड दोनों ओर से काफी चौड़ी है, जबकि फ्लाईओवर की चौड़ाई इसके हिसाब से काफी कम है। ऐसे में जब वाहन फ्लाईओवर में प्रवेश करते हैं, तो उनके आपस में टकराने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा ओवरटेक करने की स्थिति में पैराफिट से टकराने की संभावना भी रहती है। अब तक जो भी हादसे बल्लीवाला फ्लाईओवर पर हुए हैं, उनमें गाड़ियों के टकराने से ही हादसे हुए हैं। इसमें कई बार फलाईओवर से नीचे गिरने की घटना भी हुई है।