उत्तरकाशी, जनपद के विकासखण्ड पुरोला के सीमांत क्षेत्र सर बडियार के आठ गांव राज्य गठन के 18 सालों के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस क्षेत्र के आठ गांव मूलभूत सुविधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क एवं संचार से अब भी दूर है। पुल न होने से ग्रामीण नदी पार करने के लिए अस्थायी तौर पर या तो बल्लियों का सहारा लेते या भैंस की पूंछ पकड़ कर नदी पार कते हैं।
शासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे ग्रामीण
सरकारी तंत्र की लापरवाही से एक व्यक्ति की बडियार नदी में गुरूवार रात गिरकर डूबने से मौत हो गई। क्षेत्र के किमडार गांव का भरत राम घर जा रहा था। इस दौरान लकड़ी के पुलिया से पैर फिसल गया। वह नदी में जा गिरा और उसकी मौत हो गई। शुक्रवार को उसका शव बडियासर गाड से बरामद कर लिया गया। इस घटना के सूचना के बाथ जहां लोगों में भैय वहीं शासन-प्रशासन के गुस्सा भी हैं।
मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे दर्जनभर गांव
उत्तरकाशी जिले की पुरोला तहसील का सर बड़ियार क्षेत्र में स्थित सर, कासलौ, डिगाडी, किमडार, छानिका, गौल, लेवटाडी सहित आठ गांव के बाशिन्दे आजादी के बाद से आज तक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। गांवों के लिए न कोई सड़क बनी और न गांव को जोड़ने वाला पुल। किसी भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी ने इनकी ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। पुल न होने से ग्रामीण नदी पार करने के लिए अस्थायी तौर पर या तो बल्लियों का सहारा लेते या भैंस की पूंछ पकड़ कर नदी पार कते हैं।
सड़क के अभाव में कई परेशानी झेल रहे ग्रामीण
इन इलाकों में बनाए जाने अस्थाई पुल बरसात के दौरान नदी के तेज बहाव के कारण बह जाता है। ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को बल्लियों का सहारा लेकर ही नदी को पार करना पड़ता है। इससे स्थानीय ग्रामीणों की समस्या बढ़ जाती है। हर रोज़ ग्रामीण व स्कूली बच्चों को गांव से स्कूल जर्जर संपर्क मार्ग से आना पड़ता है। इस मार्ग से लगातार पत्थर गिरने के भय के साथ ही लगभग सात किलोमीटर का अतिरिक्त सफ़र तय करना पड़ता है।
जंगली जानवरों का भय
जंगल से सटे होने के कारण जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि अनेक बार नदी पार करते हुए बच्चों व वृद्ध महिलाओं के साथ दुर्घटना हो चुकी है। इसमें से कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। फिर भी शासन-प्रशासन ने इसकी सुध लेना जरूरी नहीं समझा।
मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत आर्य का कहना है कि, “सर बडियार पुरोला विकासखंड का सीमांत क्षेत्र है। लोकसभा मतगणना के बाद स्वयं गांव का भ्रमण कर विकास का खाका तैयार कर शासन को भेजा जाएगा।”