आजीविका योजना में उत्पादों की मार्केटिंग को सर्वोच्च प्राथमिकता दें : मुख्यमंत्री

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यात्रा मार्ग पर फूलों के क्लस्टर विकसित किए जाएं। प्रसाद योजना का विस्तार सभी मंदिरों में किया जाए। मुख्यमंत्री  ने एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना की समीक्षा की।ग्राम्य उत्पादों की मार्केटिंग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। आजीविका में संचालित प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियमित तौर पर फील्ड विजिट करें। ग्रामीणों व किसानों को परियोजना का लाभ पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए। सोमवार को सचिवालय में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजीविका, ग्रामीण परिवारों को सक्षम बनाने के अपने उद्देश्य में सफल हो सकें, इसके लिए उन्हें बाजार अर्थव्यवस्था से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।  योजना की धरातल पर सफलता के लिए जरूरी है कि बड़े अधिकारी नियमित रूप से फील्ड भ्रमण करें। यात्रा मार्ग पर फूलों के क्लस्टर विकसित किए जाएं। प्रसाद योजना का केदारनाथ व बद्रीनाथ के साथ अन्य मंदिरों में विस्तार किया जाए। प्रसाद निर्माण की प्रक्रिया में साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए। आजीविका के जिन केंद्रों पर बहुत अच्छा काम हुआ है, वहां स्कूल-कॉलेज के छात्रों का भ्रमण कराकर प्रोत्साहित किया जाए।

बैठक में बताया गया कि एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना वर्तमान में उत्तराखण्ड में 11 पर्वतीय जनपदों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पिथौरागढ़, देहरादून, रूद्रप्रयाग, पौड़ी, नैनीताल व चम्पावत के 44 विकासखण्डों में संचालित की जा रही है। परियोजना की कुल लागत 868 करोड़ 60 लाख रूपए है। इसके वित्तपोषण में 63 प्रतिशत आईफैड, 14 प्रतिशत राज्य सरकार, 19 प्रतिशत लाभार्थियों को बैंक फाईनेंस व 4 प्रतिशत लाभार्थी अंशदान है।

परियोजना के प्रमुख घटक खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका संवर्धन, सहभागी जलागम विकास, आजीविका वित्तपोषण व परियोजना प्रबंधन है। उत्तराखण्ड के एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना (आईएलएसपी) को भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग ने लैंडमार्क प्रोजेक्ट के रूप में मान्यता दी है। अनेक देशों में यहां के प्रोजेक्ट को दोहराया गया है। इस परियोजना में उत्तराखण्ड के 11 पर्वतीय जनपदों के 44 विकासखण्ड, 3470 गांव आच्छादित किए गए हैं। इससे 13702 उत्पादक/निर्बल उत्पादक/स्वयं सहायता समूह के 126000 सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं। परियोजना में सिंचाई के लिए 3291 एलडीपीई टैंकों का निर्माण किया गया है। 1828 हेक्टेयर में फेंसिंग द्वारा फसलों को सुरक्षा प्रदान की गई है। 650 हेक्टेयर में चारा विकास कार्यक्रम संचालित हैं। आजीविका परियोजना में 918 बंजर भूमि को उपयोग के तहत लाया गया है। इसी प्रकार 150 क्लस्टर स्तरीय कलेक्शन सेंटर, 599 ग्राम स्तरीय स्मॉल कलेक्शन सेंटर व 129 नेनो पेकेजिंग यूनिट की स्थापना की गई है।

वेल्यू चैन के तहत 4898 समूह बैमोसमी सब्जियां, 4590 समूह डेरी, 3800 समूह मसाले, 4290 समूह पारम्परिक अनाज, 1875 समूह दालें, 3650 समूह फल, 1750 समूह गैर कृषि सेवा क्षेत्र, 798 समूह बकरी पालन, 367 समूह मुर्गी पालन, 290 समूह औषधीय व सगंध पौध, 89 समूह इको-टूरिज्म व 276 समूह गैर कृषि उद्यम से जुड़े हैं।

मार्केटिंग के लिए हिलांस नाम से ब्रांड विकसित किया गया है। अनेक बड़ी संस्थाओं से टाई अप किया गया है। अल्मोड़ा में फल व सब्जियों के लिए मदर डेरी, चमोली में आलू के लिए एपीएमसी मंडी हल्द्वानी, उत्तरकाशी में सेब के लिए एफएफटी हिमालयन फ्रेश प्रोड्यूस लि., अल्मोड़ा में पारम्परिक फसलों के लिए ऑरगेनिक इंडिया एसओएस ऑरगेनिक प्रा.लि., पिथौरागढ़ में सोप नट्स के लिए हार्वेस्ट वाईल्ड ऑरगेनिक सोल्यूशन प्रा.लि., अल्मोड़ा में ओएसवी के लिए विनोधरा बायोटेक, अल्मोड़ा व बागेश्वर में मंडुआ बिस्किट के लिए ट्राईफेड, चमोली में कुटकी के लिए इमामी, कृष्ण ट्रेडर्स, चमोली में सब्जियों के लिए मोनाल होटल, देहरादून में फल व सब्जियों के लिए एसएस ट्रेडर व दिल्ली टोमटो कम्पनी दिल्ली से टाई अप किया गया है।

प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में बागेश्वर में आजीविका परियोजना के अंतर्गत संचालित महिला समूह द्वारा उत्पादित मंडुवा बिस्किट का जिक्र किया था।

प्रसाद योजना के तहत वर्तमान में जागेश्वर, बैजनाथ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, कोटेश्वर, गंगोत्री, महासू, सिद्धबली व सुरकंडा देवी, कुंजापुरी में स्थानीय समूहों द्वारा प्रसाद बनाकर वितरण किया जा रहा है। अभिनव प्रयास करते हुए आईटीसी ग्रुप के साथ सीएसआर के अंतर्गत मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों व पत्तियों को रिसाईकल कर समूहों द्वारा धूपबत्ती बनाने का काम किया जा रहा है।