ऊंट के मुंह में जीराः पद खाली 807 मिले 53

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गोपेश्वर, आपने ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत तो सुनी ही होगी। बस वही कहावत चमोली के शिक्षा विभाग पर भी आजकल सटिक बैठ रही है। चमोली जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयास नाकाफी नजर आ रहे हैं।

चमोली जिले के सरकारी विद्यालयों में वर्तमान में प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के कुल 807 पद रिक्त पड़े हुए हैं जबकि बीते दिनों शिक्षा निदेशालय की ओर से किये गये स्थानांतरण में जिले में बाहरी जनपदों से महज 53 शिक्षकों का तबादला किया गया था। ऐसे में चमोली जिले में शिक्षा को लेकर सरकार के प्रयासों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है लेकिन सरकार की ओर से विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती के प्रयास नाकाफी नजर आ रहे हैं। चमोली जिले में वर्तमान में प्रवक्ताओं के 522 और सहायक अध्यापकों के 285 पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में निदेशालय की ओर से मई माह में अनुरोध और अनिवार्य स्थानांतरण के तहत जिले में बाह्य जनपदों से 36 प्रवक्ताओं और 17 सहायक अध्यापकों का स्थानांतरण किया गया। जिनमें से किसी भी शिक्षक ने अभी तक जिले में तैनाती नहीं दी गई। जबकि जिले से बाह्य जिलों के लिये 25 प्रवक्ताओं और 59 सहायक अध्यापकों का स्थानांतरण किया गया। जिनमें करीब छह को नये तैनाती स्थल पर तैनाती दे दी गई।

हालांकि शासन की ओर से स्थानांतरण पर रोक लगाने के बाद स्थानांतरण पा चुके शिक्षक अभी भी जिले में सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के सुधार को लेकर सरकार के दावे हवा हवाई होते नजर आ रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

मुख्य शिक्षा अधिकारी ललित मोहन चमोला ने कहा कि, “शासन की ओर से चमोली में रिक्त चल रहे प्रवक्ताओं और सहायक अध्यापकों की सूची शासन को भेजी गई है। उच्चाधिकारियों से विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से हो रही दिक्कतों के बारे में भी रिपोर्ट दी गई है। वर्तमान में जिले में 807 प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के पद रिक्त हैं।”