उत्तराखण्ड के 670 न्याय पंचायतों में विकसित होंगे ग्रोथ सेंटर

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देहरादून,  उत्तराखण्ड सरकार राज्य में पलायन जैसी गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर विकसित कर रही है। प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों मे ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इनमें से 58 ग्रोथ सेंटर को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें एग्रीबिजनेस, आई.टी., ऊन, काष्ठ, शहद, मत्स्य आधारित ग्रोथ सेंटर शामिल हैं।
शासन की ओर से जारी एक वि​ज्ञप्ति में बताया गया कि राज्य सरकार ने योजना को अमलीजामा पहनाते हुए 670 न्याय पंचायतों में क्लस्टर एप्रोच पर थीम बेस्ड ग्रोथ सेंटर विकसित करने का निर्णय लिया। क्लस्टर आधारित एप्रोच, वित्तीय समावेशन, ब्रांड का विकास व मार्केट लिंकेज इसकी प्रमुख विशेषता है।
योजना की मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर से लगातार माॅनिटरिंग की जाती है। इसी का परिणाम है कि अभी तक प्रदेश में 58 ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें 7 ग्रोथ सेंटर जलागम विभाग के तहत, मत्स्य विभाग के तहत 10, डेयरी में 04, एकीकृत आजीविका सहयोग कार्यक्रम में 25 व उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में 10 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किए जा चुके हैं।
जलागम विभाग के ग्रोथ सेंटर विश्व बैंक परियोजना से व मत्स्य विभाग के एनसीडीसी परियोजना से वित्त पोषित किए जाने हैं। शेष के लिए 435 लाख रूपए से अधिक की राशि अवमुक्त की जा चुकी है। इसी प्रकार कुल 23 ग्रोथ सेंटर के प्रस्ताव और प्राप्त हो चुके हैं। इनमें वन विभाग के अंतर्गत 08, यूएसआरएलएम में 05, उत्तराखण्ड खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में 2, रेशम विभाग में 4 व उत्तराखण्ड बांस एवं रेशा विकास परिषद में 04 प्रस्तावों पर कार्ययोजना बनाई जा रही है।
ग्रोथ सेंटरों से ग्रामीणों को उत्पाद को मिलेगा सहयोग 
विकसित किए जाने वाले ग्रोथ सेंटर जड़ी-बूटी, बर्ड वाचिंग, पर्यटन, एग्रीबिजनेस, शहद, हर्बल, रेशम, बांस व रेशा, ऊन, मसाले, मत्स्य पालन, आईटी, काष्ठ, मंडुवा, झंगौरा, चैलाई आदि पारम्परिक अनाज आदि पर आधारित हैं। इन ग्रोथ सेंटरों से ग्रामीणों को उत्पादन के लिए आवश्यक सहयोग मिलेगा और उत्पादन को मार्केट भी उपलब्ध करवाया जाएगा। युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार व आजीविका प्राप्त होगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
उत्तराखण्ड की औसत आय देश से ज्यादा 
उत्तराखण्ड की विकास दर, देश की विकास दर से अधिक रही है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 में 1,61,172 रूपए थी जो कि वर्ष 2018-19 में बढ़कर 1,98,738 रूपए हो गई है। इस प्रकार प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से 72,332 रूपए अधिक हो गई है।
आजीविका साधनों के अभाव में बढ़ा पलायन 
आर्थिक वृद्धि का यह लाभ राज्य के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने और वहां से हो रहे पलायन को रोकने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास व पलायन आयोग की स्थापना की थी। आयोग ने प्रत्येक जिले में भ्रमण किया, वहां के लोगों से फीडबैक लिया और एक अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके अनुसार आजीविका के साधनों का अभाव, पलायन का सबसे बड़ा कारण माना गया। स्थानीय संसाधनों व परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रणनीति बनाए जाने की आवश्यकता बताई गई।
ग्रामीणों के आजीविका पर फोकस कर रही सरकार 
सरकार व शासन स्तर पर गहन मंथन के बाद तय किया गया कि बिजली, सड़क, पानी, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ ही ग्रामीणों के लिए आजीविका के साधन जुटाए जाने पर सबसे अधिक फोकस किया जाए। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए। ऐसा तभी हो सकता है जबकि स्थानीय तौर पर उपलब्ध संसाधनों पर आधारित योजना तैयार की जाए। इसके बैकवर्ड व फारवर्ड लिंकेज तैयार किए जाएं।