(देहरादून) डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मानसून के मेघ की तरह डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छर की सक्रियता भी लगातार बढ़ती जा रही है। मंगलवार को भी देहरादून में 14 और लोगों को डेंगू की पुष्टि हुई। इसके बाद दून में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर 352 हो गई है। अन्य जिलों में भी अब तक डेंगू के 12 मरीज मिल चुके हैं। इससे प्रदेशभर में डेगू के मरीजों का आंकड़ा 364 पर पहुंच गया है। वहीं, डेगू के कारण कुछ दिन पहले एक महिला मरीज की मौत भी दून में हो चुकी है।
डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ती जा रही है। क्योंकि बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए तमाम जतन करने के बाद भी मच्छर की सक्रियता कम हो नहीं रही है। विभागीय तैयारियों पर डेगू का मच्छर पानी फेर रहा है। बीती जुलाई की अपेक्षा अगस्त में डेगू का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। क्योंकि माह के पहले 13 दिन में ढाई सौ से अधिक लोगों में डेगू की पुष्टि हो चुकी है। लार्वा के सैंपल लिए
मंगलवार को भी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने व संदिग्ध मरीजों की जांच के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी सुभाष जोशी ने बताया कि आमवाला तरला में लगाए गए स्वास्थ्य शिविर में सामान्य बुखार के 21 मरीजों का चेकअप किया गया। डेंगू के संदिग्ध 12 मरीजों के ब्लड सैंपल भी एलाइजा जांच के लिए दून अस्पताल की लैब में भेजे गए हैं। वहीं, दूसरी टीम ने क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों को डेंगू से बचाव की जानकारी दी और लार्वा का सर्वे किया। केहरी गांव भी पहुंची टीम
केहरी गांव में भी स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची। यहां से भी लोगों के घरों से मच्छर के लार्वा के सैंपल लिए गए। लोगों से आसपास स्वच्छता बनाए रखने व खाली बर्तनों में पानी जमा नहीं होने देने की अपील की गई। डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में नगर निगम की टीम द्वारा भी फॉगिंग की गई है। इसके अलावा तेज बुखार से पीड़ित दस मरीजों के रक्त के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। डेंगू में अपनाएं आयुर्वेदिक उपचार
गिलोय, तुलसी, शुंठी आदि लाभदायक
जागरण संवाददाता, देहरादून: बारिश के सुहाने मौसम के साथ ही लोगों को मच्छर से होने वाली बीमारियों का डर भी सताने लगता है। खौफ इतना होता है कि मरीज साधारण बुखार को भी डेंगू समझने लगते हैं। देखा गया है कि लोग प्लेटलेट्स कम होने से घबरा जाते हैं जबकि साधारण बुखार में भी प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. नवीन जोशी के अनुसार आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाकर डेंगू से बचा जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार
– आयुर्वेदिक ग्रंथो में वर्णित अमृता (गिलोय),तुलसी, शुंठी एवं पपीते की पत्तियों के सुखाकर बनाए गए पाउडर को उम्र के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सक की परामर्श से लेकर डेंगू के प्रकोप से बचा जा सकता है।
– गिलोय की डंठल, पपीते के पत्ते का रस, ताजे एलोवेरा का रस एवं अनार का रस भी दिन में तीन से चार बार उम्र के अनुसार 25 से 30 मिली की मात्रा में चिकित्सक के परामर्श से लेना डेंगू के रोगियों में घट रहे प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मददगार होता है।
– डेंगू के रोगियों में बकरी का दूध भी प्लेटलेट्स बढ़ाने सहित रोग प्रतिरोधक क्षमता को व्यवस्थित रखने में मददगार होता है।