कुशल राजनेता व विधिवेत्ता थे गोविन्द बल्लभ पंत : मुख्यमंत्री

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देहरादून, मुख्यमंत्री  रावत ने पं. गोविन्द बल्लभ पंत की 132वीं जयन्ती के अवसर पर मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। त्रिवेन्द्र ने कहा कि, “भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनेता एवं विधिवेता थे। हिन्दी को राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री एवं भारत के गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर उन्होंने देश की सेवा की। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अहम योगदान दिया।”

हर्षोल्लास से मनाई गई गोविन्द बल्लभ पंत की 132वीं जयंती
उधमसिंह नगर जिले में भारत रत्न पंत की 132वीं जयंती जिले में हर्षोल्लास से मनाई गई। जिला मुख्यालय कलक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी डाॅ. नीरज खैरवाल ने पं. गोविन्द बल्लभ पंत के चित्र पर माल्यार्णण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया। उन्होंने पंत की जीवनी पर प्रकाश डाला। साथ ही आह्वान किया कि हमें पंत के आदर्शाें पर चलना चाहिए। अपने कार्य को निस्वार्थ भाव से करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उन्होंने कहा कि पंत को भारत रत्न ने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए अपनी निस्वार्थ सेवा दी। इसी कारण उन्हें 1957 में देश के सर्वोच्च नागरीक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। साथ ही उन्होंने देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। अपर जिलाधिकारी उत्तम सिंह चौहान, जगदीश चन्द्र काण्डपाल ने भी कहा कि हमें पंत के आदर्श पर चलकर आम जन मानस की निस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए।
भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत की 132वीं जयंती मंगलवार को पूरे चमोली जिले में हर्षाेल्लास के साथ मनाई गई। जिला मुख्यालय गोपेश्वर में कुंड काॅलोनी स्थित शहीद स्मारक पार्क में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया, मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे, नगर पालिका अध्यक्ष सुरेन्द्र लाल एवं अन्य जिलास्तरीय अधिकारियों ने स्व. पं. गोविन्द बल्लभ पंत की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस मौके पर जिलाधिकारी ने कहा कि, “स्व. गोविंद बल्लभ पंत ने आजादी दिलाने के साथ ही स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश को नई दिशा देने में अविस्मरणीय योगदान किया है। उनके देश के लिये किए गए कार्याें को सदैव याद किया जाएगा। कहा कि पंत ने कुली, बेगार एवं जमीदारी जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में जरूरत है कि प्रत्येक नागरिक को उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए।”