सरकार के दावों की पोल खोलता गोपेश्वर का नर्सिंग काॅलेज

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उत्तराखंड सरकार भले ही पहाड़ में व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ाने की दावों की बात करती हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। चमोली जिले में वर्ष 2018 से संचालित राजकीय नर्सिंग कॉलेज पठियालधार सरकार के दावों की पोल खोल रहा है। स्थापना काल से ही काॅलेज संसाधनों के अभाव से जुझ रहा है। कॉलेज में कक्षा कक्षाओं, छात्रावास, शिक्षकों के साथ ही शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का भारी टोटा बना हुआ है। कॉलेज में अभी कक्षा, कक्ष और छात्रावास का निर्माण कार्य भी पूर्ण नहीं हो सका है।
कॉलेज संचालन के लिये प्रधानाचार्य के साथ ही 16 प्रवक्ताओं, एक प्रशासनिक अधिकारी, एक वित्तीय सहायक, एक सहायक लेखाकार, एक वरिष्ठ सहायक, दो कनिष्ठ सहायक, एक स्टोर कीपर, एक लाईब्रेरियर, एक प्लम्बर, एक इलैक्ट्रीशियन, 32 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद सृजित किये गये। लेकिन एक वर्ष का समय गुजर जाने के बाद शासन की ओर से यहां एक प्रधानाचार्य, तीन प्रवक्ता और आठ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भरोसे कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। वहीं कॉलेज के छात्रावास और कक्षा कक्षों का निर्माण कार्य भी आधा अधूरा पडा हुआ है।
स्थानीय निवासी अरविंद नेगी, धनराज सिंह और भूपेंद्र सिंह का कहना है कि, “सरकार को पहाड़ों में संचालित संस्थानों में कर्मचारियों की कमी को लेकर गंभीरता से कार्य करने की जरुरत है। जिससे पहाड़ी क्षेत्रों से शिक्षा के लिये हो रहे पलायन पर प्रभावी रोक लग सके।”
क्या कहते हैं अधिकारी 
“नर्सिंग कॉलेज में शिक्षकों व कर्मचारियों की कमी और भवन निर्माण के पूर्ण न होने की जानकारी उच्चाधिकारी का दी गई है। उच्चाधिकारियों द्वारा शीघ्र शिक्षकों और कर्मचारियों की तैनाती का आश्वासन दिया गया है। साथ ही भवन निर्माण के लिये उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के अधिकारियों से पत्राचार किया गया है।”
ममता कपरुवाण, प्रधानाचार्य, राजकीय नर्सिंग कॉलेज पठियालधार।