फुस्स साबित हुआ कांग्रेस के फंड जुटाने का अभियान

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भाजपा की देखा देखी कांग्रेस ने अपने संगठन को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए कदम तो बढ़ाया, लेकिन वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। आजीवन सदस्यता निधि अभियान के लिए जिलों में चंदे की बुक काॅपिया तो भेजी गईं, लेकिन वह लौटकर नहीं आ पाईं। अब हाल ये है कि कांग्रेस में इस अभियान को लेकर कोई बात नहीं की जा रही है। कांग्रेसियों को ये याद भी नहीं पड़ता कि कभी इस तरह का कोई अभियान शुरू किया गया था।

– भाजपा की तर्ज पर संगठन के लिए पैसा जुटाने का था अभियान

– जिलों को दी गई अभियान की बुक-काॅपियां लौटी नहीं

भाजपा ने पिछले वर्ष आजीवन सदस्यता निधि अभियान चलाकर पांच करोड़ रुपये पार्टी फंड के लिए जुटाए थे। इसकी देखा देखी कांग्रेस भी इस राह पर चली, लेकिन मंजिल तक नहीं पहुंच पाई। पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले अच्छा खासा फंड जुटाने का लक्ष्य रखा था। तय किया गया था कि कांग्रेस कार्यकर्ता या फिर पार्टी विचारधारा से जुडे़ लोगों से ही आर्थिक मदद जुटाई जाएगी। विधायकों को टारगेट दिए गए, लेकिन किसी ने इस अभियान में दिलचस्पी नहीं ली। न ही पार्टी के नेतृत्व ने इसकी माॅनीटरिग की।

सत्ता से हटने के बाद अपनी संगठनात्मक कमजोरी के कारण कांग्रेस कदम कदम पर मात खा रही है। न सिर्फ लोकसभा, बल्कि नगर निकाय और पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस ने इस वजह से झटके खाए हैं। कांग्रेस के लोगों का मानना है कि पार्टी के पास फंड की कमी बनी हुई है। इसलिए बेहतर चुनाव प्रबंधन में भी दिक्कतें आ रही हैं। भाजपा की तरफ मजबूत आर्थिक व्यवस्था के लिए काम होना चाहिए, लेकिन किसी का ध्यान नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, इस अभियान को अब खत्म हुआ मान लिया गया है। इस पर अब कोई बात नहीं होगी।