बेगूसराय, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के निदेशक (रिफाइनरीज) श्रीकांत माधव वैद्य ने आइओसीएल के रिफाइनरियों का समग्र जीआरएम कम होने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, इंडियन ऑयल के लिए देश पहले और कारोबार बाद में है। बरौनी रिफाइनरी के तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन मंगलवार देरशाम उन्होंने रिफाइनरी के प्रदर्शन और चल रही परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि इस वर्ष की दूसरी तिमाही में हमारी रिफाइनरियों का समग्र जीआरएम चिंताजनक है।
यह बातें उन्होंने नवनिर्मित एआरयू (यू-908) का उद्घाटन के दौरान कही। उन्होंने अप्रेंटिस प्रशिक्षुओं के लिए बनाए गए नवनिर्मित अधिगम एवं विकास केंद्र एक्सटेंशन का भी उद्घाटन किया। बीएस-सिक्स परियोजना तथा बरौनी रिफाइनरी विस्तारीकरण परियोजना के क्षेत्र एक और दो के परियोजना स्थलों का निरीक्षण किया। उन्होंने रिफाइनरी के विभिन्न साइट, टाउनशिप का निरीक्षण, बीएसपी कंट्रोल रूम में प्लांट के अंदर कर्मचारियों से बातचीत तथा आईओओए प्रतिनिधि तथा महिला कर्मचारियों से अलग-अलग बातचीत की।
उन्होंने कहा, जीआरएम कच्चे तेल की दरों पर निर्भर करता है। जब कच्चा तेल सस्ता मिलता है तब रिफाइनरियों को अपनी अधिकतम दक्षता पर काम करनी चाहिए। दूसरी तिमाही के लिए हमारा प्रर्दशन मुख्य रूप से दर्शाता है कि हमसे चूक हुई है।
इस दौरान जुबली हॉल में आयोजित ओपन सत्र में वैद्य ने कहा कि रिफाइनरी न केवल पूर्वी भारत में इंजन की आपूर्ति कर रही है, बल्कि भारत सरकार के निर्देशानुसार सौहार्दपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बनाए रखने के लिए नेपाल की इंधन जरूरतों को भी पूरा कर रही है। बरौनी रिफाइनरी हमारे लिए रणनीतिक महत्व रखती है। बरौनी रिफाइनरी के कार्यपालक निदेशक शुक्ला मिस्त्री ने कहा कि बरौनी रिफाइनरी से साढ़े चार महीने में निर्धारित एमओयू लक्ष्य को पूरा करेगी।