हवलदार राजेंद्र सिंह के परिजनाें ने सीएम से लगाई गुहार 

0
805
देहरादून,  गढ़वाल राइफल के हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी कश्मीर के गुलमर्ग में गश्त के दौरान बर्फ में फिसलने के बाद अभी तक उनका कुछ पता नहीं चलने से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। परिवार को ढ़ाढंस बंधाने के लिए राजनीतिक, सामाजिक सहित विभिन्न संगठन को पहुंच रहे हैं। जवान के परिजन इस संबंध में सीएम से मिलकर केन्द्र से मदद की गुहार लगाई है।
देहरादून के अंबीवाला स्थित सैनिक कॉलोनी निवासी हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी बीती नौ जनवरी से लापता हैं। सेना की ओर से परिवारजों को इसकी सूचना दी तो घर में कोहराम मच हुआ है। घर पर हवलदार राजेंद्र की पत्नी राजेश्वरी देवी और उनके तीन बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। राजेंद्र के माता-पिता चमोली जिले में गैरसैंण के पास पंजियाणा में रहते हैं। रविवार को जवान राजेंद्र सिंह के परिजन पिता रतन सिंह नेगी, भाई कुंदन सिंह, सुरेंद्र सिंह नेगी  ने विधायक सहदेव पुण्डीर के साथ मुख्यमंत्री से मिलकर केंद्र सरकार से बात कर उचित कार्रवाई की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस संबंध में रक्षा मंत्री के साथ ही सेना के उच्चाधिकारियों से बातचीत करेंगे।
राजेंद्र सिंह छुट्टी के बाद नवंबर में ही ड्यूटी पर लौटे थे। जवान के बच्चों का कहना है कि कुछ दिन पहले भी पापा का फोन आया था तो बच्चों ने उनसे बात की थी। आठ जनवरी के बाद से उनका फोन नहीं आया। तब से परिवार का हर पल किसी अच्छी सूचना के इंतजार में बेचैनी से कट रहा है। परिवार को संभालने के लिए राजेंद्र के पिता रतन सिंह नेगी, भाई कुंदर सिंह, अवतार सिंह, विनोद सिंह भी चमोली से दून आ गए हैं। सभी हर पल एक ही दुआ मांग रहे हैं, काश फोन की घंटी बजे और उधर से खुशखबरी आए कि हमारा राजेंद्र सलामत हैं।
हवलदार राजेंद्र के कमरे में रखा बक्सा पल-पल उनकी याद दिला रहा है। यह सेना का बक्सा है जो कि काले रंग है और इस पर सफेद स्याही से राजेंद्र का नाम लिखा हुआ है। बच्चे बार-बार प्यार से इस पर हाथ फेरते हैं। फिर सुबकने लगते हैं। वे बार-बार यही कहते हैं कि पापा जल्दी आ जाओ। हमें डर लग रहा है।
36 वर्षीय राजेंद्र चार भाइयों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता रतन सिंह नेगी पैतृक गांव में ही चाय की दुकान चलाते हैं, जबकि, उनकी माता भागा देवी और तीन भाई भी गांव में ही रहते हैं। राजेंद्र सिंह के दो बेटियां अंजलि और मीनाक्षी आठवीं और चौथी कक्षा में पढ़ती हैं। जबकि बेटा प्रियांश छठी कक्षा में है।