अल्ट्रासाउंड के अभाव में गर्भवती महिलाओं के सामने संकट 

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चमोली जिला चिकित्सालय न केवल चिकित्सकों का अभाव झेल रहा है वरन वहां पर चिकित्सीय सुविधाओं की भी भारी कमी है। जिला चिकित्सालय गोपेश्वर के अलावा कहीं भी अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में अब महिलाओं को अल्ट्रासाउंड की सुविधा के लिये बाहरी क्षेत्रों की दौड़ लगानी पड़ रही है।
चमोली जिले में जिला चिकित्सालय सहित 44 चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन जिले में उप जिला चिकित्सालय में एक-एक रेडियोलॉस्जिट, सर्जन व गायनोक्लॉजिस्ट तैनात हैं। इसमें रेडियोलॉजिस्ट जहां जिला चिकित्सालय में तैनात हैं। सर्जन और गायनाेक्लॉजिस्ट उप जिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग में तैनात किये गये हैं जिससे गर्भवती महिलाओं सहित अन्य मरीजों को खासी दिक्कतों का समाना करना पड़ रहा है। चमोली जिले में 615 ग्राम पंचायतें और सात नगरीय क्षेत्र हैं। ऐसे में ग्राम पंचायतों और नगर क्षेत्र के लाखों लोगों के स्वास्थ्य को यहां सरकार ने भगवान भरोसे छोड़ा दिया है।
 स्थानीय निवासी अरविंद नेगी, रविंद्र सिंह और विकास जुगरान का कहना है कि सरकार की ओर से पलायन को रोकने की बात कही जा रही है। लेकिन स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण और मूलभूत सुविधा को लेकर कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की जा रही है। सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देने और पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
जिले में रिक्त चिकित्सकों के पदों पर तैनाती और सुविधाओं को लेकर निदेशालय से पत्राचार किया जा रहा है। सभी पदों की सूची उच्चाधिकारियों को सौंपी गई है। जिले में रेडियालाॅजिस्ट के दो ही पद सृजित हैं। लिहाजा जहां पर रेडियोलाॅजिस्ट पद नहीं उन केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी नहीं दी जा सकती है। जल्द ही जिले में एक और अल्ट्रा साउंड लगने की उम्मीद है।
डा. केके सिंह, मुख्य चिकित्सधिकारी, चमोली।