नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) में 10 करोड़ रुपये की लागत से बने म्यूजियम का उद्घाटन आगामी 23 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। एनआईएम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि उत्तराखंड की पहाड़ी शैली में यह अत्याधुनिक म्यूजियम तैयार किया गया है। इसका कार्य पिछले चार वर्षो से चल रहा है था। अब इसका कार्य पूरा हो गया है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। राष्ट्रपति ने उद्घाटन के लिए अपनी सहमति दे दी है।
– दस करोड़ की लागत से बने म्यूजियम का राष्ट्रपति 23 मार्च को करेंगे उद्घाटन
इस तरह उत्तरकाशी जिले में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के नाम एक और उपलब्धि जुड़ने जा रही है। दुनिया भर में अपने एडवेंचर और चोटियों के आरोहण के लिए विश्व प्रसिद्ध नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पहाड़ी शैली का यह म्यूजियम तैयार किया गया है। म्यूजियम में पहाड़ की विशाल भौगोलिक और सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखा जाएगा। फिलहाल म्यूजियम में उद्घाटन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। म्यूजियम में राज्य के चारों धामों को कलाकृतियों के रूप में उकेरा गया है। साथ ही पहाड़ की समृद्ध परम्परा की हर विरासत को इस म्यूजियम में समेटा गया है।
अभी भी गौमुख हिमालय क्षेत्र मे आने वाले पर्वतारोही एवं पर्यटक नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में मौजूद म्यूजियम की सैर करना नहीं भूलते। इस म्यूजियम में गढ़वाल हिमालय की प्राचीन संस्कृति के तमाम नमूने देखने को मिलते हैं, जिन्हें गढ़वाल के लोग हजारो वर्षो पूर्व प्रयोग किया करते आ रहे थे। इनमें मुख्यतः परम्परागत वेशभूषा के साथ पहाड़ी वाद्य यंत्र और घरों में मापतोल और तत्कालीन आम दिनचर्या में प्रयोग होने वाले धातु के बने माप यंत्र एव अन्य उपकरण देखने को मिलते हैं, जो आधुनिकता के इस दौर में विलुप्ति के कगार पर हैं।
एनआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के बावजूद क्यों उपेक्षित है उत्तराखंड
उत्तरकाशी मुख्यालय से चार किमी। दूरी पर भागीरथी के दांई ओर 1300 मीटर की ऊंचाई पर घने जंगलों के मध्य स्थित एनआईएम की भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की प्रबल इच्छाओं को सम्मान देने के लिहाज से उनके जन्म दिवस पर 14 नवम्बर, 1965 को स्थापना हुई थी। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान देश ही नहीं, विदेशों की भी नामी संस्थाओं में से एक है, जो युवाओं और सैन्य बलों के अधिकारियों और जवानों के साथ विदेशी नागरिको को पर्वतारोहण के लिए प्रोत्साहित कर उन्हे प्रशिक्षण देता आया है। इसके बावजूद उत्तराखंड सरकार हिमालय क्षेत्र के ट्रैकिग स्थलों को प्रचारित प्रसारित करने मे खास दिलचस्पी नहीं दिखाती। हालांकि पड़ोसी देश नेपाल में स्थित माउण्ट एवरेस्ट के बलबूते पर ही देश की बड़ी अर्थव्यवस्था चल रही है। लोगों का कहना है कि यदि उत्तराखंड सरकार भी साहसिक खेलों व पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने की पहल करती तो एनआईएम जैसे प्रतिष्ठान के ट्रैकिंग क्षेत्र उपेक्षित नहीं होते।