उत्तराखंड में सात गुना बढ़ी बेरोजगारी दर, चिंतित हुई सरकार

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जनरल
उत्तराखंड में साल 2003-04 के बाद प्रदेश में बेरोजगारी में सात गुना की बढ़ोतरी हो गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सर्वे आंकड़े से यह तथ्य सामने आए हैं। यह आकड़ा सरकार और राज्य दोनों के लिए चिंतित करने वाला है।
देश से लेकर प्रदेश में जहां सरकार ने रोजगार वर्ष के रूप में संकल्प के तौर पर काम करने की मंशा जाहिर कर रही है वहीं बेरोजगारी में वृद्धि राज्य के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने प्रदेश के 96 ब्लॉक में 750 परिवारों के बीच सर्वे कर बेरोजगारी और रोजगार की रिपोर्ट तैयार की। जिसमें खेती किसानी से कमाने वाले लोगों की संख्या सबसे कम है। उत्तराखंड में कृषि में 5.98 और उद्योग में 30.85 जबकि सेवा क्षेत्र 63.18 रोजगार मिल रहा है।
 
86 हजार युवाओं ने कराया सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकरण
प्रदेश के नियोजन विभाग की ओर से मानव विकास रिपोर्ट में बेरोजगारी को लेकर सर्वे 2017 में किए गए थे जिसमें बेरोजगारी दर करीब तीन गुना ज्यादा निकली थी। वर्ष 2019 में जारी इस रिपोर्ट की मानें तो उत्तराखंड में बेरोजगारी दर 14.2 है। साल 2003-04 में यह दर मात्र 2.1 प्रतिशत थी। उस समय बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 9.2 प्रतिशत था। इस हिसाब से प्रदेश में 2003-04 की तुलना में बेरोजगारी सात गुना हो गई। अप्रैल से जून के बीच में यह सर्वे हुआ। उस समय प्रदेश में चार धाम यात्रा भी चलती है जिससे रोजगार की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
प्रदेश सरकार की ओर से आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019-20 में 86 हजार युवाओं ने पंजीकरण कराया है। जबकि प्रदेश के सेवायोजन कार्यालयों में सात लाख से अधिक युवाओं का पंजीकरण दर्ज है।