रानीखेत, शिक्षा व सामाजिक आर्थिक विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए अबकी उत्तराखंड से पर्यावरणविद् प्रकाश जोशी को ‘ज्वेल ऑफ इंडिया’ अवार्ड से सम्मानित किया गया है। प्रकाश को यह सम्मान दिल्ली में हुए समारोह में पांडिचेरी के पूर्व राज्यपाल डॉ. भीष्म नारायण सिंह ने प्रदान किया।
अपेक्षाकृत शीतोष्ण पर्वतीय अंचल में गर्म प्रदेश के चंदन वृक्ष प्रजाति के सफल पौधारोपण तथा गहन शोध व अध्ययन के बाद पहाड़ में तेजी से जड़ें जमा रही कुर्री घास (लैंटाना) के जरिये औषधीय गुणों वाले चंदन के पेड़ों को बेहतर खुराका का फॉर्मूला ढूंढ चुके पर्यावरणविद् प्रकाश जोशी ने राष्ट्रीय स्तर पर हिमालयी राज्य का गौरव बढ़ाया है। इन दिनों मणिपुरी बाज से ओक, टसर-रेशम उत्पादन के क्षेत्र में अध्ययन में जुटे प्रकाश ने बाकायदा मंडलकोट (ताड़ीखेत) में हिमालयी बहुपयोगी वृक्ष प्रजाति बांज के साथ मणिपुरी बाज का बगीचा भी तैयार कर लिया है। जून-जुलाई से इसमें टसर-रेशम कीट छोड़ उत्पादन की तैयारी है।
इधर पर्यावरण संरक्षण के साथ ही शिक्षा व सामाजिक आर्थिक उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए पर्यावरणविद् प्रकाश को इंडियन सॉलिडेरिटी काउंसिल ने उत्तराखंड से चुना था।
दिल्ली स्थित डॉ. कृष्णा मेनन सभागार में पांडिचेरी के पूर्व राज्यपाल डॉ. भीष्मनारायण ने उन्हें ‘ज्वेल ऑफ इंडिया अवार्ड’ से सम्मानित किया। इससे पूर्व हिमालयन पर्यावरण संरक्षण (होप) के निदेशक एवं पर्यावरणविद् प्रकाश जोशी ‘इंडो-जर्मन अवार्ड’ से भी नवाजे जा चुके हैं। जीबी पंत कृषि प्रौद्योगिकी विवि पंतनगर से स्वर्ण पदक प्राप्त प्रकाश वर्तमान में उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) के जिला समन्वयक भी हैं।