अंतर धार्मिक विवाह शासनादेश पर लगी रोक

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अंतर धार्मिक विवाह का मुद्दा प्रदेश में चर्चा के केंद्र में है। गत दिनों  टिहरी समाज कल्याण कार्यालय से अंतर धार्मिक विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि देने संबंधी परिपत्र जारी होने पर प्रदेश में हंगामा हो चुका है। सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह के लिए एक योजना को बढ़ावा देने के लिए जारी किए गए इस प्रेस नोट के संबंध में जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही शासनादेश पर रोक लगा दी गई है।
प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अंतर धार्मिक विवाह के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। यह व्यवस्था कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में की गई थी। वर्ष 1976 में अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह के लिए दस हजार रुपये का प्रावधान किया गया था। 27 जनवरी 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस प्रोत्साहन राशि को दस हजार से बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दिया। तब तत्कालीन समाज कल्याण सचिव एस राजू ने इसका संशोधित शासनादेश जारी किया था। उत्तराखण्ड में 18 लोगों को प्रोत्साहन राशि दी जा चुकी है।
शादी के लिए धर्मान्तरण करने से रोकने और लव जेहाद रोकने के प्रदेश सरकार द्वारा सख्त कदम उठाये गये हैं। साजिश, प्रलोभन या दबाव में विवाह को सरकार ने अनुचित बताते हुए अंतर धार्मिक विवाह के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि समाप्त कर दी है। वर्ष 2018 में सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया। इसके बावजूद अंतर धार्मिक विवाह के लिए प्रोत्साहन स्वरूप 50 हजार रुपये देने का एक पत्र 18 नवम्बर 2020 को टिहरी समाज कल्याण कार्यालय से जारी किया गया था। इसका प्रदेश भर में विरोध किया जा रहा है। जनता द्वारा अंतर धार्मिक विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि दिए जाने के शासनादेश को लव जेहाद जैसे मामलों को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।