सैनिकों की कदम ताल से बनेगी बिजली

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आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों को खास सफलता हाथ लगी है जिससे भारतीय सेना के जवानों के कदम ताल से उत्पन्न होने वाली एनर्जी को विशेष तरह के जूतों के माध्यम से एकत्रित करके बिजली तैयार की जाएगी। इतना ही नहीं दिल्ली में मेट्रो ट्रेन एवं फ्लाईओवर पर वाहनों से उत्पन्न होने वाले कंपन से भी बिजली तैयार करने में पहली सफलता मिली है। इससे हर रोज लाखों जवानों की होने वाली परेड में कई मेगावाट बिजली बन सकती है।

पीएचडी स्कॉलर्स अभिषेक ने इस तकनीक का किया प्रयोग:

उल्लेखनीय है कि आईआईटी दिल्ली के सिविल व इलेक्ट्रिकल विभाग के वैज्ञानिक और प्रोफेसर सुरेश भल्ला की अध्यक्षता में पीएचडी स्कॉलर्स अभिषेक ने इस तकनीक को प्रयोग किया है। वहीं अभिषेक के मुताबिक, इसमें पिजोइलेक्ट्रिक एनर्जी हारवेस्टिंग का प्रयोग किया गया है, जिसे शू एनर्जी हारवेस्टिंग का नाम दिया गया है। इसके लिए एनर्जी हारवेस्टर सेंसर बनाया गया है, जो जूते के अंदर फिट होगा। इसी के साथ शू कैपेशिटर भी लगा होगा। जैसे ही पैर का पंजा और एंडी चलने के दौरान जमीन को छूएंगे, सेंसर उसे एनर्जी में तब्दील करते हुए कैपेशिटर में एकत्रित कर बिजली बनाएगा।

सीमा पर जवान कर सकेंगे इस बिजली का उपयोग:

एक कैपेसिटर में करीब पांच वोल्ट तक बिजली स्टोर हो सकती है। जूते के बाहर की ओर मोबाइल की तर्ज पर प्लग होगा और वहां से बिजली को दूसरी ओर कंनवर्ट कर दिया जाएगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि बीस हजार कदम चलने पर इस जूते में पांच वोल्ट की बिजली तैयार होगी और खर्चा महज दो सौ रुपये बैठेगा। इसी टीम ने फ्लाईओवर पर वाहनों के कंपन से इसी तर्ज पर बिजली तैयार करने की भी तकनीक ईजाद की है। इस पर फाइनल शोध जारी है। हालांकि पहली सफलता मिल गई है। इसी शोध को मेट्रो ट्रेन के कंपन में ट्रायल करना है। मेट्रो ट्रेन ऐलिवेटिड कॉरिडोर या फ्लाईओवर में पिजोइलेक्ट्रिक एनर्जी हारवेस्टिंग फरोम ट्र्रैफिक इंनडयूस्ड ब्रिज वाइवरेशन का नाम दिया है।  इन जूतों को सेना के जवानों को उपलब्ध कराया जाएगा जिससे जवान सीमा की सुरक्षा के वक्त अपने खास कार्यों को कर सकें।