शराब आंदोलन के बहाने माओवादियों की दस्तक

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थ्री यू सेक यानी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व उत्तरी बिहार में ‘रेड कॉरिडोर’ की साजिश के सूत्रधार माओवादी थिंक टैंक प्रशांत सांगलेकर उर्फ प्रशांत राही व पहली पांत के कमांडार हेम मिश्रा को उम्र कैद के बाद ठंडे पड़े माओवादी फिर छटपटाने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो भूमिगत दूसरी व तीसरी पंक्ति के नेताओं के इशारे पर प्रदेश भर में शराबबंदी के ज्वलंत मुद्दे को कैश कर आंदोलनकारियों के बीच पैठ बनाने की रणनीति बना ली गई है। शुरुआत शराब के प्रबल विरोध वाले द्वाराहाट ब्लॉक में भड़काऊ पोस्टरों से कर दी गई है। इसमें राष्ट्रविरोध तो नहीं है मगर मदिरालयों में आगजनी व हिंसा की अपील कर कानून व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश जरूर रची गई है। अलबत्ता पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया है।

दो प्रमुख कमांडरों को उम्र कैद की सजा के बाद शांत बैठे माओवादी करीब डेढ़ माह बाद अपनी फितरत के अनुसार फिर सिर उठाने लगे हैं। खास बात कि अबकी राज्य भर में शराब के खिलाफ चल रहे आंदोलन को हवा देने के बहाने माओवादी जनता के बीच पैठ बनाने की तैयारी कर चुके हैं। उत्तराखंड जोनल कमेटी की ओर से पहले चरण में शराब के खिलाफ लामबंद द्वाराहाट ब्लॉक को चुना गया है।

विकासखंड के बिंता, कामा, बगवलीपोखर आदि क्षेत्रों में माओवादियों ने दीवारों में शराब विरोध के बहाने लोगों के बीच खुद को स्थापित करने का कुचक्र रचा है। पर्चो व पोस्टरों में हालांकि राष्ट्रविरोध तो नहीं है, मगर प्रतिबंधित भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के हवाले से महिलाओं के शराब विरोध को समर्थन, शराब की दुकानों में आग लगाने व कारोबार से जुड़े लोगों को जान से मार देने की धमकी देकर कानून हाथ में लेने के लिए आंदोलनकारियों को उकसाने की कोशिश की गई है। कामा की प्रधान पार्वती देवी व सामाजिक कार्यकर्ता कुंदन नेगी ने बताया कि सार्वजनिक भवनों व एएनएम सेंटर की दीवारों पर पोस्टर चस्पा कर लाल रंग से भड़काऊ अपील भी लिखी गई है।

डीएस कुंवर एसएसपी ने बताया कि माओवादियों ने साजिशन शराब विरोधी आंदोलन के बहाने खुद को मजबूत करने की कोशिश की है। पोस्टरों व दीवारों पर लिखे गए नारों में देशद्रोह की बातें नहीं हैं लेकिन शराब के खिलाफ लोगों को उकसाने की अपील को गंभीरता से लिया जा रहा है। कानून व्यवस्था किसी भी सूरत में बिगड़ने नहीं दी जाएगी।