उत्तराखंड की सुरम्य वादियों में चुन सकते हैं वर्केशन

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उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने राज्य की सुरम्य वादियों में पर्यटन स्थलों पर वर्केशन की वर्कफ्रॉम होम संस्कृति को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया है। ऐसे लोग यहां की समृद्धि संस्कृति, खान-पान से परिपूर्ण राज्य सरकार की होम स्टे योजना के तहत विकसित हुए हजारों होम स्टे में से किसी को चुन सकते हैं।

बीते साल लॉकडाउन लागू होने के बाद से वर्तमान में ‘वर्केशन’ का कान्सेप्ट प्रचलन में आया है। उत्तराखंड में पक्षियों की चहचहाहट,पहाड़ों की ठंडी हवा और नदी से टकराती चट्टानों की तेज आवाज आपको तरोताजा कर देगी। अपनी छुट्टियां बिताने के साथ स्वच्छ और शांत वातावरण में प्रकृति के अनुपम उपहार में काम भी कर सकते हैं।

राज्य में ऐसे पेशेवरों के लिए काम करने और हिमालय के प्राकृतिक वातावरण के बीच आनंद लेने और सुखद प्रवास करने के लिए विभिन्न स्थलों जैसे नैनीताल, मुक्तेश्वर, नौकुचियाताल, कौसानी, रानीखेत, अल्मोड़ा, देहरादून, मसूरी, धनौल्टी, कानाताल, टिहरी, ऋषिकेश, नरेन्द्रनगर, टिहरी, लैंसडाउन, रूद्रप्रयाग आदि को चिह्नित किया है। यहां वर्केशन के लिए सभी होम स्टे में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है।

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं कि राज्य के गांवों से पलायन रोकने के मद्देनजर रोजगार के अवसर सृजित करने के मकसद से 2016 में होम स्टे योजना शुरू की गई थी। उत्तराखंड में आकर वर्क फ्रॉम होम करने वालों को वर्केशन के तहत घर जैसा वातावरण उपलब्ध कराया जा रहा है। देश-दुनिया के लोग उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू होते हैं।

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर कहते हैं कि होम स्टे में योग-ध्यान, स्पॉ, पंचकर्मा जैसी वेलनेस से जुड़ी गतिविधियां शुरू करने के साथ ही इन्हें मौजूदा परिस्थितियों के दृष्टिगत कंपनियों, संस्थाओं समेत अन्य लोगों को वर्क फ्रॉम होम के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। यहां आप अपनी पसंद का खाना बनवा सकते हैं और स्थानीय स्वाद का लुत्फ भी उठा सकते हैं।

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रुद्रप्रयाग के एक होमस्टे संचालक संजय भट्ट ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा के तमाम इंतजाम करते हुए ही हम होमस्टे में अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। इसके साथ स्मार्ट सिटी के पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए भी हम पर्यटकों की मदद कर रहे हैं।

नैनीताल: कुमाऊं क्षेत्र का मुख्य पर्यटन और इस झीलों का शहर कहा जाता है।

कौसानी: समुद्र तल1890 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां प्रकृति के विलय और हरियाली का अनूठा संगम है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस क्षेत्र की सुंदरता पर विचार किया है। कौसानी से हिमालय की चोटियों की लंबी शृंखला के दर्शन किये जा सकते हैं।

मुक्तेश्वर: यदि आप साहसिक खेलों के प्रति थोड़ा झुकाव रखते हैं और फलों के बागों, शंकुधारी जंगलों, रोलिंग मीडोज, मंदिरों और निश्चित रूप से झरनों का पता लगाना चाहते हैं तो मुक्तेश्वर आपके लिए सबसे बेहतर स्थान है। खाली समय में रॉक क्लाइम्बिंग, साइकिलिंग और अन्य गतिविधियों का आनंद लिया जा सकता है।

नौकुचियाताल: कुमाऊं की खूबसूरत पहाड़ियों में समुद्र तल से 1200 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित नौकुचियाताल अपनी प्रकृति और सूक्ष्म परिदृश्य के लिए लोकप्रिय गंतव्य है। प्रकृति की गोद में हिमालय की कुमाऊं पर्वतमाला से घिरी नौ कोनों वाली झील यहां का प्रमुख आकर्षण है।

रानीखेत: उत्तराखंड का एक प्रमुख हिल स्टेशन है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। हरे-भरे जंगल, हिमालयी पहाड़ियां, पर्वतीय चढ़ाई, गोल्फ कोर्स, ट्रैकिंग रेंज और मंदिर आदि शामिल हैं।

अल्मोड़ा: भीड़भाड़ से दूर शांत और खुशमिजाज वातावरण में छुट्टियों मनाने के लिए उत्तराखंड के सबसे बेहतर विकल्पों में से एक है। अल्मोड़ा को भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है।

मसूरी: मसूरी में हिमालय की ऊंचाइयों से टकराते बादल, वृक्षों की सुन्दर-सुन्दर टहनियों की सांय-सांय करती हुई मधुर धुन और पक्षियों का मनमोहक संगीत हर पर्यटक को अपना दीवाना बना लेता है। अपनी सुंदरता और विशेष गुणों के चलते विश्व के कोने कोने से पर्यटक मसूरी घूमने आते हैं।

धनोल्टी: गढ़वाल जिले में समुद्र तल से 2286 मीटर की ऊंचाई पर धनौल्टी एक बेहद सुन्दर हिल स्टेशन है। देवदार, रोडोडेंड्रोन और ओंक के वनों से आच्छादित मसूरी मार्ग पर स्थित है। यहां पर्यटक विश्राम गृह, वन विभाग के विश्राम गृह, अतिथि गृह के बहुत से मनमोहक होम स्टे हैं।

नई टिहरी: यह नवनिर्मित शहर और टिहरी गढ़वाल का जिला मुख्यालय है। यह समुद्र तल से 1550 से 1950 एमटीएस के बीच की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक आधुनिक और सुव्यवस्थित शहर है जो चम्बा से 11 किलोमीटर और पुरानी टिहरी से 24 किलोमीटर दूर है।

लैंसडाउन: लैंसडाउन हिल स्टेशन उत्तराखंड की वादियों में बसा खूबसूरत और शांत होने के साथ सुरक्षित भी है। यहां सैनिक छावनी है। घने बांज और नीले देवदार के जंगलों से घिरा, शून्य प्रदूषण और चहकती चिड़ियों की मनभावन आवाज और तेज हवाओं के साथ वर्केशन के लिए सबसे उचित स्थान है।

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग का नाम भगवान शिव (रुद्र) के नाम पर रखा गया। रुद्रप्रयाग, अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के पवित्र संगम पर स्थित है।

ऋषिकेश: ऋषिकेश में राम झूला के पास शिवानंद गांव स्थित है। यहां स्थित शिवानंद आश्रम की स्थापना 1936 में स्वामी शिवानंद ने की थी। यह आश्रम डिवाइन लाइफ सोसायटी द्वारा चलाया जाता है और भारत के सर्वोच्च योग केंद्र के अंतर्गत आता है। राफ्टिंग, बंजी जंपिंग जैसे साहसिक खेल यहां का रोमांच है।