सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार में धर्म संसद में मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयान के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को इस बात की अनुमति दी कि वे दूसरे स्थानों पर हुई ऐसी घटनाओं के खिलाफ स्थानीय प्रशासन को अपना प्रतिवेदन दें। पिछले 10 जनवरी को कपिल सिब्बल ने इस मामले पर जल्द सुनवाई करने की मांग की थी जिसके बाद कोर्ट ने इस पर सुनवाई करने का भरोसा दिया।
याचिका पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज और वकील अंजना प्रकाश ने दायर किया है। एक याचिका देशभर में मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मौलाना महमूद मदनी ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषण की वजह से कई जाने गई हैं। भड़काऊ बयान देने वालों के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से यति नरसिंहानंद सरस्वती के बयान के खिलाफ किए गए प्रदर्शन में शामिल सौ से ज्यादा मुस्लिमों की गिरफ्तारी का जिक्र किया गया है। याचिका में हरिद्वार के धर्म संसद में किए गए भड़काऊ भाषणों के खिलाफ 76 वकीलों की ओर से चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया गया है। याचिका में कहा गया है कि भड़काऊ भाषण देनेवालों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि मूकदर्शक बनी रही।