शीतकालीन सत्र में कानून व्यवस्था से जुड़े अंकिता हत्याकांड और केदार भंडारी प्रकरण के अलावा उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) परीक्षा घोटाले पर हंगामा होने के आसार हैं। इस दौरान प्रदेश में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 सदन में पेश किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार उत्तराखंड की मातृशक्ति के हितों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। राज्याधीन सरकारी सेवाओं में उनके 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को संरक्षित करने के लिए हमने राज्य की महिलाओं के लिए आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए विधान सभा के समक्ष प्रस्तुत किया है, ताकि उनके हितों का समुचित संरक्षण हो सके।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने विधानसभा में पेश महिला आरक्षण विधेयक, धार्मिक स्वतंत्रता कानून को अधिक कड़ा करने वाले संशोधन विधेयक समेत सदन पटल पर रखे सभी विधेयकों का स्वागत किया है। पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद करते हुए कहा कि मातृशक्ति को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण, प्रदेश की आधी आबादी को उसका पूरा हक दिलाने वाला है। साथ ही उम्मीद जतायी कि जबरन धर्मान्तरण पर 10 साल की सजा ऐसे अपराधियों में कानून का खौफ पैदा करने का काम करेगी।
इसी तरह धार्मिक आधार पर प्रदेश में जनसांख्यिक परिवर्तन लाने के षड़यंत्र में लगे लोगों पर लगाम कसने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता कानून उल्लंघन में 10 वर्ष तक की सजा एवं पीड़ित को पांच लाख तक के मुआवजे का प्रावधान भी हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कूड़ा निस्तारण, पंचायती राज कानून एवं दुकान एवं स्थापन कानून के सजा प्रावधानों को लेकर जनहित में किये बदलाव, जिला योजना समिति में क्षेत्र पंचायत प्रमुख को शामिल करना, स्टाम्प व राज्य अधिकार के अंतर्गत जीएसटी कानून आदि सभी विधेयकों को राज्यवासियों को राहत देने के उद्देश्य से लाये गए हैं।