स्थानीय एरीज यानी आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज की जनपद के ही देवस्थल नाम के स्थान पर स्थापित 3.6 मीटर ‘डॉट’ यानी देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप ने सुदूर अंतरिक्ष में लगभग एक अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगा के बाहरी इलाके से उच्च ऊर्जा प्रकाश के विस्फोट ‘जीआरबी 211211ए’ का पता लगाया है।
डॉट के द्वारा रिकॉर्ड की यह विश्व भर के खगोल वैज्ञानिकों के लिए पहली खगोलीय घटना है, जिसमें एक लंबे जीआरबी के साथ किलोनोवा उत्सर्जन यानी न्यूट्रॉन सितारों के टकराने से होने वाला विशाल विस्फोट की अप्रत्याशित खोज हुई है। बताया गया है कि इस घटना ने वैज्ञानिकों की समझ को झकझोर कर रख दिया है।
इस अध्ययन की टीम में शामिल एवं एरीज के शोध छात्र राहुल गुप्ता, अमर आर्यन, अमित कुमार और डॉ. कुंतल मिश्रा की टीम का नेतृत्व करने वाले एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि 3.6 मीटर दूरबीन एवं इसमें लगे 4000 गुणा 4000 सीसीडी इमेजर द्वारा संगृहित डेटा में से आफ्टरग्लो योगदान को घटाने के बाद वैज्ञानिकों ने यह पाया कि बहु तरंग दैर्ध्य डेटा की अतिरिक्त वर्णक्रम द्वारा अच्छी तरह से व्याख्या किया जा सकता है और इस तापीय उत्सर्जन को किलोनोवा उत्सर्जन के संदर्भ में समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह पहली खगोलीय घटना है जिसमे एक लंबे जीआरबी के साथ किलोनोवा उत्सर्जन यानी न्यूट्रॉन सितारों के टकराने से होने वाला विशाल विस्फोट की अप्रत्याशित खोज हुई है। इस घटना ने वैज्ञानिकों की समझ को झकझोर कर रख दिया है।
उन्होंने बताया कि इस घटना में उच्च ऊर्जा विस्फोट लगभग एक मिनट तक चली और 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप के अनुवर्ती अवलोकनों में एक किलोनोवा की पहचान हुई। 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप के प्रेक्षणों ने अभी तक के किलोनोवा के सबसे प्रारंभिक चरण की जानकारी प्रदान की है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस वैज्ञानिक खोज में 3.6 मीटर दूरबीन द्वारा लिए गए प्रथम डाटा के अतिरिक्त हबल स्पेस टेलिस्कोप, मल्टीक इमेजिंग टेलेस्कोपस फॉर सर्वे एंड मोनस्ट्रोस एक्सप्लोसिओंस, कलर आल्टो ऑब्जर्वेटरी, देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप एवं अन्य अंतरिक्ष और जमीन आधारित दूरबीनों का भी इस्तेमाल किया गया। इस खोज से ब्रह्मांड में भारी तत्वों के बनने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।
डॉ. पांडेय ने बताया कि एक जीआरबी में में कुछ सेकेंडों के भीतर सूर्य के पूरे जीवन में उत्सर्जित की जाने वाली ऊर्जा से अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है। उन्होंने कहा कि यह खोज जीआरबी की उत्पत्ति की बारे में हमारी वर्तमान समझ को चुनौती देती है और इस दिशा में नई संभावनाओं को जन्म देती है। एरीज के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया की भविष्य में 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप में इस तरह की बहुत सारी खोज करने की एक अद्वितीय क्षमता है। आगे ऐसी और बड़ी खोजें हो सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि इंसानों की तरह सितारों का भी एक जीवन चक्र होता है। सितारे पैदा होते हैं, जीते हैं, और अंत में मर जाते हैं। कुछ बड़े सितारों की मृत्यु जीआरबी यानी गामा किरण विस्फोट के रूप में जाने जाने वाले ब्रह्मांड की सबसे चमकीले और सबसे विस्फोटक खगोलीय स्रोतों के रूप में होती है। इधर पिछले वर्ष 11 दिसंबर, 2021 को नासा की नील गेहर्ल्स स्विफ्ट ऑब्जर्वेटरी और फर्मी गामा-रे स्पेस टेलीस्कोप ने लगभग 1 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगा के बाहरी इलाके से उच्च ऊर्जा प्रकाश के विस्फोट ‘जीआरबी 211211ए’ का पता लगाया था।
इस जीआरबी के बाद की चमक का अध्ययन करने के लिए, खगोलविदों ने अंतरिक्ष और पृथ्वी पर कई दूरबीनों का उपयोग किया, जिसमें स्थानीय एरीज आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज की 3.6 मीटर ‘डॉट’ यानी देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप ने भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बारे में विस्तृत अध्ययनों के बाद बुधवार को विश्व की सर्वोच्च मानी जाने वाली शोध पत्रिका ‘नेचर’ में शोध आलेख प्रकाशित हुआ है। इस आलेख में एरीज की डॉट का जिक्र होना यहां के वैज्ञानिक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं।