युवाओं का मनोबल तोड़ रही है भाजपा सरकार: हरीश रावत

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Harish rawat

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एनसीटीई के निर्णय और सरकार की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि परीक्षा दर परीक्षा देकर थके नौजवानों का मन मत तोड़िए।

एक ट्वीट के माध्यम से हरीश रावत ने बुधवार को कहा कि हाई कोर्ट ने एलटी संवर्ग के कला विषय के 246 पदों में नियुक्तियों की प्रक्रिया को निरस्त कर दिया, क्यों? इसलिए निरस्त कर दिया एनसीटीई ने एलटी संवर्ग के लिए नियुक्ति के लिए बीएड होना अनिवार्य किया था और राज्य सरकार ने अपने स्तर पर इस नियम को संशोधित कर बीएड की योग्यता को हटा दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे इस ट्वीट में लिखा है कि आप और हम सब जानते हैं कि एनसीटीई एक स्वायत्त संस्था है, केन्द्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करती है, वहां यदि कोई भी संशोधन होना है योग्यता आदि को लेकर तो वह केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है।

आप नियुक्तियां कर रहे हैं एनसीटीई के विनियम के अनुसार और उसमें निर्धारित योग्यता को आप अपने स्तर पर हटा दे रहे हैं, तो हुआ वही जो होना चाहिए था। मुझे घोर आश्चर्य है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभाग जिन्होंने इस संशोधन को अनुमोदित किया होगा, आखिर उन्होंने इस मोटे से तथ्य को कैसे नजर अंदाज कर दिया? या तो राज्य सरकार नियुक्तियां करना नहीं चाहती है, मामलों को लटकाना चाहती है और यह संदेह इस बात से और पुष्ट होता है क्योंकि लगभग 4450 पदों पर परीक्षा से लेकर के नियुक्ति की प्रक्रिया तक के मामले किसी न किसी कारणवश उलझे पड़े हैं, कुछ न्यायालय में हैं, कुछ पुलिस की जांच के तहत हैं और कुछ अन्य-अन्य कारणों से हैं, तो क्या भाजपा की सरकार युवाओं को इन रिक्त पदों पर उनका अधिकार देना चाहती है या उनको केवल लटकाए रखना चाहती है।