उत्तराखंड सरकार बनभूलपुरा के बवालियों पर हुई सख्त

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उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा में बवाल करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सुबह राजधानी में अपने सरकारी आवास पर स्थिति पर उच्च अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। नैनीताल जिला प्रशासन ने भी सुबह साफ किया है कि बनभूलपुरा हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है। तीन लोग घायल हुए हैं। इस बीच हेलीकॉप्टर से पूरे वनभूलपुरा क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। मुख्य साजिशकर्ता की तलाश जारी है। तीन अभियोग दर्ज हो चुके हैं। पूरे शहर में इंटरनेट सेवा बंद है। धारा 144 लागू है।

मुख्यमंत्री धामी ने अपने आवास पर हुई बैठक में निर्देश दिए हैं कि अवैध निर्माण हटाए जाने के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों पर हमला करने और अशान्ति फैलाने वाले अराजकतत्वों के विरुद्ध फौरन सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने शान्ति व कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एडीजी (कानून और व्यवस्था) एपी अंशुमान को प्रभावित क्षेत्र में कैंप करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आगजनी और पथराव करने वाले एक-एक दंगाई की पहचान कर कार्रवाई की जाए। बैठक में विशेष प्रमुख सचिव/ एडीजी अमित सिन्हा, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय, अपर सचिव जेसी कांडपाल प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

नैनीताल ब्यूरो के अनुसार, आज सुबह डीएम वंदना सिंह ने हल्द्वानी नगर निगम कार्यालय में पत्रकार वार्ता कर बनभूलपुरा हिंसा में दो लोगों की मृत्यु की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि,पहले दो लोगों को मरणासन्न अवस्था में कृष्णा अस्पताल ले जाया गया था। वहां उन्हें नहीं लिया तो एसटीएच ले जाया गया। इस कारण मृतकों की संख्या पर भ्रम की स्थिति बनी। उन्होंने कहा कि बिना उकसावे की कार्रवाई के अधिकारियों को थाने में जिंदा जलाने की कोशिश की गई। अब हल्द्वानी में स्थिति नियंत्रण में हैं।

डीएम वंदना ने कहा, शहर में 1100 पुलिस कर्मी तैनात हैं। कर्फ्यू अगले आदेश तक जारी रहेगा है। यह हमला एक तरह से कानून एवं राज्य को चुनौती देते हुए किया गया। चार उपद्रवी पुलिस हिरासत में हैं। ढाई घंटे के भीतर स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान कई दुकानें भी हटाई गईं। तब कोई विरोध नहीं हुआ। लोगों को उच्च न्यायालय जाने का भी समय दिया गया। वहां से कोई राहत नहीं मिलने के बाद कार्रवाई हुई। प्रशासन की कार्रवाई में किसी का घर नहीं टूटा। न ही कोई बेघर नहीं हुआ।

जिला अधिकारी ने साफ किया कि वहां कोई धार्मिक स्थल नहीं था। नजूल भूमि पर अतिक्रमण था। भीड़ को उसे बचाने की परवाह नहीं थी। भीड़ तो प्रशासनिक मशीनरी पर हमला करने पर आमादा थी। उन्होंने कहा कि यह सुनियोजित हमला था। 30 जनवरी को घरों की छतों पर पत्थर नहीं थे। आधे घंटे के भीतर नगर निगम की टीम पर बिना उकसावे के पथराव किया गया। उन्हें शांत किया तो दूसरी भीड़ ने पेट्रोल बमों से हमला किया। इसके बाद भीड़ ने थाने को निशाना बनाया। वाहन फूंके। उन्होंने कहा कि हमलावरों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार की गई। आत्मरक्षार्थ गोली चलाने के आदेश दिए गए। यहां से भीड़ को हटाया गया तो दंगाई गांधीनगर पहुंच गए। वहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं। स्थिति संभालने के लिए पीएसी व अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाया गया। संवाददाता सम्मेलन में मौजूद एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने साफ किया है कि 15-20 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। इनसे क्षति की वसूली की जाएगी। अगले तीन घंटों में कार्रवाई शुरू हो जाएगी।