हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप में याचिकाकर्ता के खिलाफ की जाने वाली सतर्कता जांच को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता की ओर से सहयोग न करने पर पूर्व में पारित अंतरिम आदेश को रद्द कर एसएसपी विजिलेंस को जांच जारी रखने के निर्देश दिए।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने और सतर्कता विभाग द्वारा मांगे गए सभी विवरण एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने और जांच में पूर्ण सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने एसएसपी विजिलेंस देहरादून को 21 अक्टूबर को जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार भजन सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह वर्ष 1984 में उत्तर प्रदेश जल निगम में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्त हुए थे। विभिन्न पदोन्नतियों के बाद 2009 में उन्हें कार्यवाहक प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया।
याचिका में कहा कि उन्हें नियम के अनुसार प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया। इस बीच 3 मई 2012 को एक आदेश जारी कर रवींद्र कुमार को प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया जिसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी हाईकोर्ट ने 9 अगस्त 2012 को याचिका खारिज कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जहां से रवींद्र कुमार की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया। इसके बाद नई पदोन्नति जारी की गई और याचिकाकर्ता को 19 दिसंबर 2013 की अधिसूचना के तहत नियमित आधार पर प्रबंध निदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का सेवा रिकॉर्ड बेदाग है और उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी के साथ किया है। उन्होंने कहा कि कुछ अधीनस्थ अधिकारी याचिकाकर्ता से खुश नहीं थे इसलिए उन्होंने याचिकाकर्ता की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया और उनकी खिलाफ झूठी शिकायतें की। सितंबर 2020 में राज्य सरकार ने विजिलेंस की ओर से जांच शुरू की । जिसमें याचिकाकर्ता को स्वयं, पत्नी, बच्चों और माता-पिता के पैन और बैंक खातों का विवरण प्रदान करने का निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सभी आरोपों की पहले ही सक्षम प्राधिकारी द्वारा जांच की जा चुकी है और तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है इसलिए आगे की जांच शुरू करने का कोई कारण नहीं है।
जिस पर एसएसपी विजिलेंज विभाग देहरादून की ओर से कहा गया कि पिछली शिकायतों पर कोई जांच नहीं की गई थी क्योंकि न तो कोई जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था और न ही आरोप तय किए गए थे। एसएसपी विजिलेंज विभाग देहरादून की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जो विभागाध्यक्ष के रूप में एक सार्वजनिक पद पर थे उनको जांच में सहयोग करना चाहिए था और सतर्कता विभाग द्वारा मांगे गए विवरण पेश करने चाहिए थे। कोर्ट ने सहयोग न करने पर पूर्व में 30 जून 2021 को पारित अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने एसएसपी विजिलेंज विभाग देहरादून को जांच जारी रखने का निर्देश दिए।