मछली पालन बना पहाड़ में आजीविका का साधन

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भले ही पहले पहाड़ में मछली पालन आजीविका का साधन नहीं रहा हो, मगर अब धीरे धीरे शासन व मत्स्य विभाग के प्रयास रंग लाने लगे हैं। मत्स्य पालन योजना के तहत पिछले कुछ सालों से कृषकों को प्रोत्साहित करने का काम चल रहा है। चंद साल पूर्व गिने-चुने किसानों ने मत्स्य पालन को रोजगार का साधन बनाना आरंभ किया। अब कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोडा जिले में बड़ी संख्या में ग्रामीण मत्स्य पालन का रोजगार करने लगे हैं। जिनकी संख्या साल दर साल बढ़ते जा रही है। अकेले अल्मोड़ा जिले में ही मत्स्य पालन से जुड़े किसानों की संख्या करीब डेढ़ सौ पार कर चुकी है।
इसी बार जिले के विभिन्न ब्लाकों में इन किसानों को तीन लाख मत्स्य बीजों की आपूर्ति मत्स्य विभाग कर रहा है। यह आपूर्ति इसी बीच हुई है। जो किसानों के निजी तालाबों में हुई है। इन मत्स्य बीजों में ग्रास, कामन, सिलवर प्रजाति के मत्स्य बीज शामिल हैं। मत्स्य पालन व्यवसाय बढ़ने से किसान काफी मुनाफा कमाएंगे। निजी तालाबों के अतिरिक्त कुछ स्थानीय नदियों में भी मत्स्य बीज डाले गए हैं। मत्स्य संरक्षण एवं संव‌र्द्धन के उद्देश्य से विभाग द्वारा नदियों, जलाशयों व झीलों में डायनामाइट व विषैले पदाथों का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की जा रही है और किसानों को मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

जिले में मत्स्य बीज आपूर्ति ताड़ीखेत – 18,000, द्वाराहाट – 62,000, भिकियासैंण- 10,000, चौखुटिया – 91,000, सल्ट – 19,000 है  रितेश चंद्र, सहायक निदेशक मत्स्य ने बताया कि मतस्य पालन को ग्रामीणों की आय का मुख्य जरिया बनाने का लक्ष्य है। जिले में इस कार्य को बढ़ाने के पूरे प्रयास चल रहे हैं, ताकि ग्रामीणों की आजीविका मजबूत करने में मत्स्य पालन रोजगार प्रमुख भूमिका निभा सके।