पहाड़ों में यात्रा करना यूं तो मुश्किल होता ही है। लेकिन जब घटना कुछ ऐसे हो जाये कि जान जाते बचे तो भगवान की कृपा ही समझो। बासबगड़ से दिल्ली जा रही एक बस में सवार यात्रियों की सांसें तब अटक गई, जब बस खाई की ओर लटक गई। बस में सवार लोगों में चीख पुकार मच गई। किसी तरह यात्री बस से उतरे।
मामला मंगलवार दोपहर का है। यात्रियों को लेकर रोडवेज की एक बस बांसबगड़ से दिल्ली जा रही थी। इस बीच नाचनी-बांसबगड़ मोटर मार्ग में हुपुली के पास पहाड़ी से भूस्खलन हुआ। बस मलबे से गुजर रही थी कि वह सड़क से खाई की ओर लटक गई। इससे यात्रियों की सांसे अटक गई। इस दौरान ड्राइवर ने सूझबूझ का परिचय दिया।
इमरजेंसी ब्रेक लगाकर बस को वहीं रोक दिया। साथ ही यात्रियों को बस से उतारने के लिए कहा। धीरे-धीरे यात्री बसे उतरे तब सबकी जान में जान आई। बस में दस यात्री सवार थे। बात दें कि इन दिनों पिथौरागढ़ में बारिश हो रही है। इससे भूस्खलन से मार्ग बंद हो रहे हैं।
पिथौरागढ़ में जो घटना घटी है इनसे पहाड़ में लोगों कहीं न कहीं सामना होता रहता है। इसे इनका भाग्य समझो या सरकार की लापरवाही। लेकिन इनके दुख कभी कम होने का नाम नहीं लेते हैं। अभी मानसून से पहले की बारिश ने ही ऐसा कहर ढाया हुआ है तो मानसून के चार महीने कैसे कटते है, यह पहाड़ों में रहने वाले ही जानते हैं। क्योंकि बरसात के मौसम में सड़कों पर मलबा आना सामान्य बात है और गाड़ियों को उसे मलबे के ऊपर से होकर गुजरना होता है। मलबा कब कहां से धंस जाये वाहन कब सड़क से बाहर हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। यह लगभग राजे मर्रा की जिन्दगी का हिस्सा बन जाता है। राज्य सरकार की ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए कोई योजना बना रही है, ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है।