अक्सर यह कहा जाता रहा है कि उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में स्वास्थय सुविधाओं की कमी है। लेकिन अगर हम आंकड़े देखें तो वह कुछ और ही कहते हैं। पहाड़ी जिलों की तुलना में हरिद्वार, उधमसिंहनगर और देहरादून के मैदानी जिलों में मैटरनल मृत्यु दर सबसे अधिक है।
और आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं वह एक पहाड़ी ज़िले के लिये और अच्छी खबर है! रुद्रप्रयाग जिला, राज्य में पहला ऐसा जिला बन गया है जो ‘माँ-बनने-वाली-महिलाओं’ के लिए खास मोबाईल ऐप लाया है। यह एप एक किट जिसमें एक डिजिटल बीपी मशीन, स्टेथोस्कोप, माँ और बच्चे के लिए वजन नापने की मशीन और एक स्मार्टफोन सिम के साथ आता है।
लगभग एक हफ्ते पहले आधिकारिक तौर पर विधायक भरत सिंह चौधरी और डीएम मंगेश घिल्डियाल द्वारा लॉन्च किए गए, एप में पैंतालीस से अधिक गर्भवती महिलाएं हैं, माताओं के लिए यह गर्भावस्था के दौरान उनकी सहायता करता है और माँ और बच्चे की देखभाल सुनिश्चित करता है।
‘Maa App’ के बारे में और अधिक जानकारी साझा करते हुए, डीएम मंगेश घिल्डियाल कहते हैं कि,“ जिले के भौगोलिक इलाके में गर्भवती महिलाओं के नियमित स्वास्थ्य जांच की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है। इस एप की मदद से ज्यादा क्रिटिकल केस वाले गर्भवती मामलों की एडंवास में पहचान हो जाएगी और समय-समय पर डॉक्टरों द्वारा बच्चे की सुरक्षित डिलीवरी और माताओं की डिलीवरी से पहले देखभाल सुनिश्चित करने के लिए निगरानी की जाएगी।”
हंस फाउंडेशन द्वारा फंडिंग से, जिले के गांवों में स्वास्थ्य विभाग ने सहायक नर्स मिडवाइफ के बीच 81 किट बांटे गए है। जिला प्रशासन द्वारा यह एक नई पहल है, क्योंकि इस एप की मदद से ज्यादा क्रिटिकल गर्भावस्था के मामलों की घटनाओं को कम करने में काफी मदद मिले सकेगी।
मंगेश धिल्डियाल ने इस बात पर जोर डाला कि, “जब महिला की डिलीवरी की डेट नजदीक होगी, तो एएनएम, आशा वर्कर्स, सीएमओ को एसएमएस अलर्ट भेजा जाएगा। जिले के अंदर मेडिकल सहायता को अलर्ट कर दिया जाएगा और महिला की देखभाल के लिए उन्हें प्रत्यशा ले आया जाता है,जिसमें निशुल्क खाने के साथ टेलीविजन सेट और मांताओं के लिए रहने की सुविधा है। “
माँ और बच्चे दोनों की सुविधा वाले, ‘Maa App’ को बहुत कम समय के अंदर जिले में कई उपयोगकर्ता मिल गए हैं। ‘Maa App’ यह सुनिश्चित करेगा कि तकनीक के प्रयोग से मातृ मृत्यु दर केवल कहानियों मे सीमित रह जाये और किसी भी नवजात शिक्षु को मूलभूत सुविधाओं का आभाव न झेलना पड़े।