हरिद्वार। भारत विश्वभर में दुग्ध उत्पादन को लेकर दूसरा सबसे बड़ा देश है। यहां गौशाला और गौ पालन करना बहुत ही आम बात है, लेकिन हरिद्वार स्थित एक ऐसी अनोखी गौशाला के है, जहां गौमाताएं म्यूजिक सुनती हैं और हर किसी के पास अपने नाम का एक पर्सनल आइडी कार्ड भी है।
माता भगवती गौशाला हरिद्वार के शांतिकुंज में स्थित है। इस समय वहां करीब 300 गायों को पाला जा रहा है, जिसमें दूध देने वाली, बिना दूध देने वाली, बछिया, बछड़े और बैल आदि शामिल हैं। यहां के पालतू जानवरों की बहुत सी खासियत हैं, उन्हें उनकी पहचान के लिए एक आइडी कार्ड दिया गया है और साथ ही वह म्यूजिक को सुनकर दूध देती हैं। माता भगवती गौशाला में प्रत्येक गाय म्यूजिक थेरेपी के तर्ज पर संगीत सुनती हैं। गौशाला प्रबंधक के मुताबिक, म्यूजिक थेरेपी से गायों के व्यवहार में बदलाव आता है, उनका चिड़चिड़ापन और मारने की प्रवृत्ति में अंतर देखने को जरूर मिलता है, जब भी वह म्यूजिक सुनती हैं, तब अक्सर उनको जुगाली करते हुए देखा गया है, जिससे यह समझ आता है कि वह अब खुश हैं। इतना ही नहीं इसके बाद उनके दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
हरिद्वार स्थित इस अनोखी गौशाला की एक विशेषता ये भी है कि यहां रहने वाली हर एक गाय का अपना एक नाम भी है। जब भी इस गौशाला में किसी गाय का जन्म होता है, तो उसका पूरी विधि-विधान के साथ नामकरण संस्कार किया जाता है। गौशाला में रह रहीं हर गाय का न केवल नाम है, बल्कि उनकी अपनी एक विशेष पहचान भी है, हर किसी के पास अपना एक आइडी कार्ड है, जिसमें उनका नाम, विशेष पहचान नंबर, नस्ल जाति, जन्मतिथि, बच्चा देने की तिथि और प्रतिदिन दुग्ध उत्पाद मात्रा के बारे में लिखा हुआ है। साथ ही हर गाय का बचपन से ही पूरा विवरण और जानकारी नोट की जाती है। गायों के लिए माता भगवती गौशाला में अच्छा खासा प्रबंध किया गया है, उनके लिए भोजन में पौष्टिकता का खास ध्यान रखा जाता है, फूड मेन्यू में उनके लिए बिनौला, चना-चूरी, गेहूं का दलियाऔर चैकर आदि विभिन्न प्रकार की खली उनके खाने में सम्मिलित है। गौशाल प्रबंधक के मुताबिक, गौमाताओं को केवल घास-भूसा खिलाने से पौष्टिकता नहीं मिलती, जिसकी वजह से उनकी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है, साथ ही दुग्ध उत्पादन में भी कमी आती है, इसलिए यहां गौ माताओं को सेहतमंद खाना खिलाया जाता है, जिससे वह एकदम स्वस्थ बन सकें और दूध भी अच्छी मात्रा में दे सकें। गायों के इकट्ठे किए गए गोबर का उपयोग गोबर गैस बनाने एवं गौमूत्र का उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है।